जेनेवा, 6 मार्च | हर साल प्रदूषण के कारण पांच साल से कम उम्र के करीब 17 लाख बच्चे मौत का शिकार हो जाते हैं। इसके कारण प्रदूषित पानी, स्वच्छता की कमी और घर के बाहर व भीतर व्याप्त प्रदूषण हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, एक महीने से पांच साल के बच्चों की हर चौथी मौत में से एक का कारण ये प्रदूषक हैं।
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सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, “प्रदूषित वातावरण बेहद घातक होता है- खासतौर पर छोटे बच्चों के लिए।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “उनके विकासित होते अंग और प्रतिरोधक क्षमता आदि के कारण उन्हें गंदी हवा और पानी से ज्यादा जोखिम होता है।”
अप्रत्यक्ष धूम्रपान समेत घर के भीतर व बाहर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले शिशुओं के बचपन में निमोनिया और अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में हृदयरोग, हृदयाघात तथा कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि पेचिश, मलेरिया और निमोनिया के कारण होने वाली बच्चों की मौतों को कीटनाशक उपचारित मच्छरदानियों, खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल और साफ पानी के प्रयोग से रोका जा सकता है।
इनके अलावा रिपोर्ट में बच्चों की मौतों को रोकने के लिए कुछ अन्य उपाय भी सुझाए गए हैं, जिनमें घरों से कीट पतंगों और लेड पेंट दूर रखना, स्कूलों में स्वच्छता और पोषण सुनिश्चित करना और शहरों में हरित क्षेत्र को बढ़ाना शामिल हैं। –आईएएनएस
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