नई दिल्ली, 14 अक्टूबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति, प्रति वर्ष 63 अंडे उपलब्ध हैं, जबकि राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार प्रति व्यक्ति करीब 180 अंडे उपलब्ध होने चाहिए। कृषि मंत्री शुक्रवार को पूसा में विश्व अंडा दिवस पर डीएडीएफ द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में मुख्य रूप से पोल्ट्री कृषक और विभिन्न हितधारक हिस्सा ले रहे हैं।
सिंह ने कहा कि अंडे के उत्पादन में भारत शीर्ष उत्पादकों में एक है और देश में अंडे का उत्पादन 83 अरब के करीब है। उन्होंने कहा कि अंडा उत्पादन तीन गुना बढ़ाने के लिए कई कदम एक साथ उठाने होंगे, ताकि देश के बच्चों के स्वास्थ्य और पोल्ट्री किसान दोनों को फायदा हो।
उन्होंने कहा, “भारत सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन के माध्यम से मुर्गी पालन को बढ़ावा दे रही है। ग्रामीण इलाके में घरों के पीछे बीपीएल परिवारों को मुर्गी पालन के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है। उद्यमिता विकास और रोजगार सृजन घटक के तहत भी मुर्गी पालन को आगे बढ़ाया जा रहा है।”
कृषि मंत्री ने इस मौके पर कहा कि अंडे के पोषक तत्वों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है और इस काम में डॉक्टर, पोषण विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, महिला एवं बाल संस्थान, अंडा प्रसंस्करण उद्योग और संबंधित नीति निर्माता अच्छी भूमिका निभा सकते हैं।
सिंह ने कहा, “विश्व में पांच साल उम्र तक के चार बच्चों में एक कुपोषण का शिकार है। भारत में सभी आय वर्ग में कमजोर बच्चों की एक बड़ी संख्या है। ऐसे में कुपोषण से लड़ने में अंडा हमारी बड़ी मदद कर सकता है।”
कृषि मंत्री ने कहा कि अंडे में उच्च पोषक तत्व काफी मात्रा में मौजूद रहते हैं, साथ ही अंडा प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी-6, बी-12, अमीनो एसिड और फोलेट, आयरन, फास्फोरस, सेलेनियम जैसे खनिज आदि का भी अच्छा स्त्रोत माना जाता है। उन्होंने कहा कि हाल के शोध से पता लगा है कि अंडे के पोषक तत्व अंधेपन को कम करने में भी सहायक होते हैं।
राथा मोहन ने कहा कि राष्ट्रीय अंडा समन्वयन समिति, कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, पशु स्वास्थ्य कंपनियां, पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया और पोल्ट्री संघों ने इस कार्यक्रम में अच्छा योगदान किया है।
सिंह ने इसके पहले शुक्रवार को ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा अरहर की नई उन्नत प्रजाति पूसा 16 का निरीक्षण किया। अरहर की यह प्रजाति 120 दिनों में पकती है, जबकि मौजूदा दूसरी किस्मों को पकने में 165 से 180 दिन लगते हैं। यह प्रजाति एक साथ पकती है और मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त है। इस प्रजाति के बाद खेत में सरसों, आलू, गेंहू आदि फसलें आसानी से लगाई जा सकती हैं। इसकी पैदावार 20 कुंटल प्रति हेक्टेयर है और इसमें प्रोटीन की मात्रा 23.5 प्रतिशत होती है। — आईएएनएस
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