राष्ट्रीय संग्रहालय में मंगलवार 27 फरवरी से ‘पवित्र कुरान’ की 13 अनोखी एवं अनदेखी प्रतियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी 31 मार्च,2018 तक रहेगी।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक सम्मानित सांस्कृतिक संगठन -राष्ट्रीय संग्रहालय- पहली बार विभिन्न हस्तलिपि शैलियों में लिखित तथा 7वीं सदी से 19वीं सदी तक विभिन्न युगों में अंकित ‘पवित्र कुरान’ के एक संग्रह का प्रदर्शन कर रहा है।
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन राष्ट्रीय संग्रहालय के पूर्व क्यूरेटर (हस्तलिपि) डॉ. नसीम अख्तर द्वारा किया गया।
इस प्रदर्शनी ‘पवित्र कुरान’ को 27 फरवरी 2018 से 31 मार्च 2018 तक प्रदर्शित किया जारहा है।
इस संबंध में आसोजित समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक एवं राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति डॉ बी आर मणि ने कहा ‘ यह प्रदर्शनी हस्तलिपियों एवं पांडुलिपियों की विभिन्न शैलियों के उद्भव एव विकास की व्याख्या करती है।
यह प्रदर्शनी इस मायने में अनूठी है कि इसमें ‘पवित्र कुरान’ की 13 अनोखी एवं अनदेखी प्रतियों को प्रदर्शित किया गया है।
इसमें कुफिक, नस्ख, रैहान, थुल्थ एवं बिहारी जैसी प्रमुख हस्तलिपियों में अंकित पवित्र कुरान को प्रदर्शित किया गया है।
बिहारी लिपि विश्व को भारत का योगदान है। अपनी विशिष्ट शैली के कारण इस कुरान को इतिहास में एक दुर्लभ स्थान प्राप्त है।
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