‘प्रतिबंधित साहित्य में स्वतंत्रता संग्राम’ प्रदर्शनी की शुक्रवार को शुरुआत की गई। आजादी के आन्दोलन में साहित्य ने लोगों में जोश पैदा करने और दासता के बंधनों से मुक्ति के लिए अभूतपूर्व प्रेरणा दी थी।
आज के युवाओं औरआम जन को आजादी के दीवानों से परिचित कराने के लिए ऐसे साहित्य में से कुछ चुने हुए दस्तावेजों की एक प्रदर्शिनी लगाई गई है।
नई दिल्ली में संस्कृति राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा ने भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के परिसर में प्रतिबंधित साहित्य में स्वतंत्रता संग्राम’ प्रदर्शनी उद्घाटन किया।
प्रदर्शनी अभिलेखागार में संरक्षित अद्वितीय संग्रह पर आधारित है।
यह प्रदर्शनी कविता और गद्य के विशाल संग्रह से है जो राष्ट्रीयता की भावना से ओत प्रोत है।
यह सामग्री बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मराठी, उडिया, पंजाबी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, असमिया आदि लगभग सभी भारतीय भाषाओं में लिखे गए साहित्य से है जिनमें भाषण, लेख, निबंध इत्यादि शामिल हैं और प्रकाशित हैं।
ब्रिटिश सरकार ने जनता में इन साहित्यों के प्रकाशन और वितरण को देश में यानी ब्रिटिश भारत में ‘सुरक्षा के लिए खतरनाक’ मानकर प्रतिबंध लगा दिया था। यह साहित्य अब हमारी राष्ट्रीय विरासत का हिस्सा है।
प्रदर्शनी 9 सितंबर 2018 तक सवेरे 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक देखी जा सकेगी।
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