चीन को गैर बासमती चावल का निर्यात करने के लिए भारत ने पांच चावल मिलों को और अनुमति दी है। इन्हें मिलाकर अब निर्यात करने वाले चावल मिलों की कुल संख्या 24 हो गई है।
चीन को गैर बासमती चावल के निर्यात की पहली खैप इस वर्ष सितम्बर में नागपुर से भेजी गई थी।
चीन दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक और आयातक है। वह हर वर्ष पांच मीट्रिक टन से अधिक चावल खरीदता है। कुछ वर्षों में भारत से चीन को एक मीट्रिक टन चावल के निर्यात की संभावना है।
भारत का कुल चावल निर्यात पिछले वर्ष बढ़कर 12.7 मीट्रिक टन पर पहुंच गया, जो इससे पहले 10.8 मीट्रिक टन था। इससे भारत चावल के वैश्विक व्यापार में शीर्ष स्थान पर बना रहा।
भारत चीन को चावल और चीनी जैसे कृषि उत्पादों का निर्यात करने का इच्छुक है ताकि व्यापार घाटे में कमी लाई जा सके।
इस वर्ष मई में चीन के अधिकारियों ने गैर-बासमती चावल का निर्यात करने में सक्षम चावल मिलों का निरीक्षण किया था और चीन को निर्यात करने के लिए 19 चावल मिलों तथा प्रसंस्करण इकाइयों का पंजीकरण किया था।
इस वर्ष जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान भारत से चीन को चावल के निर्यात के बारे में चीन के सामान्य सीमा शुल्क प्रशासन और भारत के प्लांट हाइजिन संबंधी कृषि विभाग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत से 2006 में चावल की गैर-बासमती प्रजातियों का निर्यात शामिल करने के लिए प्लांट हाइजिन अपेक्षाओं से संबंधित समझौते में संशोधन किया गया था।
Follow @JansamacharNews