पूर्व राष्ट्रपति (Former President of India) प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान (1st Sukumar Sen Memorial Lecture) देते हुए कहा कि निष्पक्ष, स्वतंत्र और भरोसेमंद चुनाव लोकतंत्र की जीवनरेखा होते हैं।
उन्होंने कहा ‘सेन ने अपनी देखरेख में पहले दो आम चुनाव कराए। इस तरह भारत राजशाही और उपनिवेश से निकलकर लोकतांत्रिक गणराज्य बना।’
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने 23 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में आयोग के पहले अध्यक्ष को याद करते हुए प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान (1st Sukumar Sen Memorial Lecture) का आयोजन किया।
सुकुमार सेन (Sukumar Sen) ने 21 मार्च, 1950 से 19 दिसंबर, 1958 तक पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (first Chief Election Commissioner ) के रूप में काम किया था।
उन्होंने राष्ट्र की प्रगति में भारत निर्वाचन आयोग के महत्व को अपने व्याख्यान में रेखांकित किया।
मुखर्जी ने सुकुमार सेन (Sukumar Sen) के बारे में कहा, ‘उन्होंने नवजात शिशु विशेषज्ञ की भूमिका निभाई और लगभग 3,000 चुने हुए प्रतिनिधियों वाली भारतीय लोकतंत्र की पहली फसल तैयार की।
सुकुमार सेन (Sukumar Sen) ने नौकरशाही के रुतबे से अलग होकर अपनी भूमिका निभाई और समस्त प्रक्रिया के प्रति निष्पक्ष होकर अपना कार्य पूरा किया।’
The former President of India, Shri Pranab Mukherjee delivering the 1st Sukumar Sen Memorial Lecture on electoral processes of India and challenges of our electoral systems, hosted by Election Commission of India to mark its 70th year of inception, at Pravasi Bhartiya Kendra, in New Delhi on January 23, 2020. The Chief Election Commissioner, Shri Sunil Arora and the Election Commissioner, Shri Ashok Lavasa are also seen.
मुखर्जी ने कहा कि भारत की संविधान सभा ने वयस्क मतदान के मुद्दे पर गहरी चर्चा की थी। चुनाव प्रक्रिया की समस्त कठिनाइयों के बावजूद संविधान सभा ने बेहिचक वयस्क मतदान के सिद्धांत को अपनाया।
उन्होंने कहा कि पहले आम चुनाव की प्रमुख उपलब्धि यह है कि उसने भारत को एकता के सूत्र में बांधा। भारतीय लोकतंत्र और उसकी अंतर्निहित शक्ति ने हमेशा उग्रवाद और अलगाववादी आंदोलनों को रोकने में सफलता पाई है तथा चुनाव प्रक्रिया में सबको शामिल किया है।
मुखर्जी ने कहा, ‘भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी में खरा उतरा है। सहमति हमारे लोकतंत्र की जीवनरेखा है। लोकतंत्र सुनने, समझने, चर्चा करने और असहमति के जरिए फलता-फूलता है। चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी स्वस्थ लोकतंत्र की कुंजी है।’
निर्वाचन आयोग की भूमिका के विषय में प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मेरी राय में भारत निर्वाचन आयोग का सभी लोग सम्मान करते हैं और चुनाव में हिस्सा लेने वाले लोग सावधान रहते हैं।
निर्वाचन आयोग समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा है और उसके कार्यकलाप शानदार हैं। उसे हमेशा बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2019 में 900 मिलियन से अधिक मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने का काम अभूतपूर्व रहा है। इतना बड़ा चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से कराना निर्वाचन आयोग की अत्यंत सराहनीय उपलब्धि है।’
इसके पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग प्रणब मुखर्जी का ऋणी है कि उन्होंने प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान में अपना व्याख्यान देने की सहमति दी।
उन्होंने कहा कि मुखर्जी के पास राजनीतिक, संवैधानिक और ऐहतिहासिक विषयों की महान संपदा मौजूद है। उन्हें 2019 में अपने विशिष्ट योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
अरोड़ा ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में श्री मुखर्जी ने 2016 और 2017 में भारत निर्वाचन आयोग के राष्ट्रीय मतदान दिवस को संबोधित किया था। हमें अपार हर्ष हो रहा है कि वे आज सुकुमार सेन स्मारक व्याख्यान में अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे हैं।
अरोड़ा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी 123वीं जयंती के अवसर पर याद किया।
निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने उपस्थितजनों का स्वागत किया और निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने श्रोताओं को धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि सुकुमार सेन ने सार्वभौमिक वयस्क मतदान के आधार पर 1952 और 1957 में विधानसभा चुनावों के साथ पहले दो लोकसभा आम चुनाव कराए थे। उस समय उनके सामने चुनावों की कोई नज़ीर नहीं थी।
सुकुमार सेन (Sukumar Sen) स्मृति व्याख्यान के आयोजन के दौरान प्रणब मुखर्जी ने भारत के पहले चुनाव पर पुनर्मुद्रित रिपोर्ट का विमोचन किया और सुकुमार सेन (Sukumar Sen) की स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
इस दौरान यह प्रस्ताव भी किया गया कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में शानदार योगदान करने वाली भारत या विदेश की प्रमुख हस्तियों को हर वर्ष व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
आज के व्याख्यान में सुकुमार सेन के परिजनों में डॉ. आशीष मुखर्जी, श्रीमती श्यामली मुखर्जी, संजीव सेन, सुश्री सोनाली सेन, देबदत्ता सेन, सुजय सेन (पौत्र और दौहित्र), आदित्य सेन, विक्रम सेन, अर्जुन वीर सेन (प्रपौत्र), राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, अकादमिक जगत, सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी, मीडियाकर्मी और अतंर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि दक्षिण एशिया के निर्वाचन प्रबंधन निकायों के फोरम की 10वीं वार्षिक बैठक और संस्थागत क्षमता को शक्ति संपन्न बनाने के विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली आए हुए हैं।
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