बृजेन्द्र रेही =======नई दिल्ली, 10 मई। प्रसिद्ध गोल्फ पत्रकार और खेल लेखक, टीवी धारावाहिकों के निर्माता निर्देशक और वित्तीय सलाहकार रमेश राज कोहली नहीं रहे। इसी सप्ताह 6 मई को उनका निधन होगया। वह लगभग 84 साल के थे और कुछ समय से बीमारी से जूझ रहे थे।
उनके निधन से कला और गोल्फ जगत में शोक की लहर है। इंडियन ओपन और दिल्ली गोल्फ क्लब के इतिहास और कई गहन शोधों के साथ, उन्होंने दुनिया भर के गोल्फ प्रेमियों के लिए एक महान विरासत छोड़ी है।
रमेश आर. कोहली ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था । यू.के. में बैंकिंग में प्रशिक्षण के बाद, उन्होंने एक वरिष्ठ बैंक कार्यकारी और वित्तीय सलाहकार के रूप में 18 साल बिताए। 70 के दशक के अंत में उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों मीडिया की ओर रुख किया। उन्हें भारतीय टेलीविजन में कई चीजें पहली बार करने का श्रेय प्राप्त है।
दूरदर्शन के कमर्शियल कार्यक्रम के शुरूआती दौर में स्व. कोहली ने देश के अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्यों पर एक धारावाहिक बनाया था “आसमा कैसे कैसे”। आसमाँ कैसे-कैसे धारावाहिक में अन्नू कपूर, राजेन्द्र गुप्ता, विनोद नागपाल, श्रीश डोभाल, मंगल ढिल्लो, हिमानी शिवपुरी, मीता वशिष्ठ, लवलीन मिश्रा आदि ने काम किया था। इसके आलावा भी उन्होंने दूरदर्शन के लिए कई धारावाहिक बनाये थे।
स्व. कोहली ने चार दशकों से अधिक समय तक खेल पर लिखा। वे इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, द टाइम्स ऑफ इंडिया, स्पोर्टस्टार, मिड-डे, नेटवर्क, रॉयटर्स, इंडिया टुडे, गोल्फ डाइजेस्ट, जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के लिए मानव हित की कहानियाँ, गपशप कॉलम, टेलीविजन आलोचनाएँ भी लिखते रहे। वह 1993 से दिल्ली गोल्फ क्लब के न्यूज़लेटर, द ग्रीन सीन के संपादक रहे हैं। गोल्फ और लेखन के अलावा, उनका दूसरा बड़ा जुनून चित्रकला रही है।
प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ़ इंडिया (पीजीटीआई) ने अपने सोशल मीडिया सन्देश में लिखा “हम प्रसिद्ध गोल्फ पत्रकार श्री रमेश कोहली के निधन से बहुत दुखी हैं। उन्होंने अपने शानदार करियर के दौरान कई प्रमुख प्रकाशनों के लिए गोल्फ को कवर किया। गोल्फ के प्रति उनका जुनून अद्वितीय था और भारत में खेल को बढ़ावा देने में उनके योगदान को भारतीय गोल्फ बिरादरी द्वारा हमेशा याद किया जाएगा! हम श्री रमेश कोहली के परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।”
कोहली साहब एक शानदार मेज़बान और दोस्तों की महफिल सज़ाने में माहिर थे। उनका यूँ चले जाना अनेकों दोस्तों और उनके प्रशंसकों के लिए के लिए चौंका देने वाला मायूसीभरा पल है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे प्रसिद्ध लेखक डॉ. पुष्पेश पंत ने स्व. कोहली की अंग्रेजी में लिखी पुस्तक “There is a sting in the tail” की प्रस्तावना में उनके व्यक्तित्व का चित्रण करते हुए लिखा था “एक सज्जन व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है – स्वाद और लालित्य का व्यक्ति – एक ऐसा व्यक्ति जो जानता है कि अवकाश हमें कैसे समृद्ध कर सकता है।”
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