नई दिल्ली, 08 जून (जनसमा)। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने गुरूवार को यहां भारतीय रेलवे के प्रथम मानव संसाधन (एचआर) गोलमेज सम्मेलन का उदघाटन किया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए.के.मित्तल, सदस्य (स्टाफ) प्रदीप कुमार, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि रेलवे एक बड़ा संगठन है और हर बड़े संगठन में यह आवश्यक है कि बुनियादी मुद्दों पर नये सिरे से गौर किया जाए, उनका आत्मनिरीक्षण किया जाए और प्रतिस्पर्धी, बहुमुखी एवं दक्ष बनने के लिए व्यापक बदलाव लाया जाए। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक बदलाव तभी हो सकते हैं, जब विभिन्न खामियों के बारे में सही ढंग से अहसास हो जाए। रेलवे एक जटिल संगठन है। रेलवे को वाणिज्यिक भूमिका, सामाजिक भूमिका एवं कल्याणकारी भूमिका निभानी पड़ती है और इसके साथ ही उसे जन आकांक्षाओं को भी पूरा करना पड़ता है, जो विशिष्ट होने के साथ-साथ परस्पर विरोधी भी होती हैं।
उन्होंने कहा कि रेलवे देश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रणनीतिक परिसम्पत्ति है। आर्थिक एवं सामाजिक पहलू के लिहाज से इसकी खास अहमियत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस संगठन में कार्यरत लोगों को अपने कामकाज में कुछ इस तरह से ढालना चाहिए कि वे चुनौतियों का सामना कर सकें। रेलवे के लिए यह आवश्यक है कि वह कॉरपोरेट लक्ष्यों को स्पष्ट ढंग से परिभाषित करे और इसके साथ ही उसे एक संगठित ढांचा तैयार करना चाहिए तथा उसके बाद उपयुक्त व्यक्तियों की सेवा इस संगठन में ली जानी चाहिए। बदलाव की शुरुआत आरंभ से ही शीर्ष स्तर से की जानी चाहिए, ताकि लोगों को सब कुछ स्पष्ट रहे।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए.के. मित्तल ने कहा कि अन्य सभी संगठनों में कर्मचारियों पर आने वाली लागत लगभग 30 फीसदी बैठती है, जबकि भारतीय रेलवे ने यह परिचालन लागत का 60 फीसदी है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कमाई में वृद्धि की जाए, ताकि कर्मचारियों पर आने वाली लागत घट जाए। यह केवल तभी संभव हो पाएगा, जब प्रत्येक कर्मचारी की दक्षता एवं कार्य प्रदर्शन बेहतर हो जाएगा।
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