मध्यप्रदेश के आबादी क्षेत्र और गाँवों के नक्शे बनाने (Mapping) के लिए सर्वे ऑफ इण्डिया (Survey of India) पहली बार ड्रोन तकनीक (Drone based) का उपयोग करेगा।
सर्वे ऑफ इण्डिया देश के सभी जियोडेटिक कन्ट्रोल का प्रबंधन करता है। सीमांकन के लिए प्रदेश में कोर्स का नेटवर्क स्थापित किया गया है।
मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग ने भारत सरकार के सर्वे ऑफ इण्डिया से आबादी सर्वे और सीमांकन एक्यूरेसी के लिए कन्टीन्यूसली ऑपरेटिंग रिफरेंस स्टेशन (कोर्स) एमओयू साईन किया है।
मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि आम आदमी के पास भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज, आबादी क्षेत्र का नक्शा (Map) एवं अधिकार अभिलेख नहीं होने से अवैध निर्माण, बिक्री एवं सीमांकन के विवाद तथा शासकीय पर अतिक्रमण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए आबादी क्षेत्रों का नक्शा तैयार (Mapping) कराया जायेगा।
उन्होंने कहा कि घनी आबादी के कारण वर्तमान स्केल स्पष्ट रूप से दर्शाना संभव नहीं होता।
इस समस्या से निजात पाने के लिये अब आबादी क्षेत्र का नक्शा (Map) 1:500 स्केल पर बनवाया जायेगा, जिससे आबादी क्षेत्र की तस्वीर और अधिक स्पष्ट नजर आयेगी।
राजपूत ने बताया कि मुख्यमंत्री हेल्पलाईन में सबसे अधिक आवेदन सीमांकन से संबंधित होते हैं।
खड़ी फसल, खराब मौसम एवं कुशल चैनमेनों के अभाव में भूमि का मूल्य निर्धारण और सीमांकन के लिए हाई एक्यूरेसी की आवश्यकता होती है। अभी तक चाँदा/पत्थर नहीं होने से सीमांकन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था।
उन्होने कहा कि अब राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन के कार्य को आधुनिक तरीके से किये जाने के उद्देश्य से कोर्स प्रणाली के क्रियान्वयन के लिए एमओयू साईन किया गया है।
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