नई दिल्ली, 24 जनवरी| हाल के दिनों में हुई रेल दुर्घटनाओं की प्रारंभिक जांच में तोड़फोड़ की साजिश की बात सामने आई है, लेकिन एक पूर्व रेल मंत्री और रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि रेल दुर्घटनाओं के पीछे रेलवे का त्रुटिपूर्ण वित्तीय मॉडल और कुछ प्रौद्योगिकी उपायों को लागू न करना भी मुख्य वजहें हो सकती हैं।
अधिकारियों का कहना है कि पूर्व रेल मंत्रियों- राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी – ने रेलवे के भाड़ों में उचित बढ़ोतरी नहीं की, जिसके चलते रेलवे दिवालिया होने के कगार पर है।
रेलवे बोर्ड के पूर्व चैयरमैन जे. पी. बत्रा का कहना है कि रेलवे भाड़ों में पिछले दशकों में मामूली बढ़ोतरी की गई, जिसका नतीज बुनियादी ढांचे पर पड़ा।
बत्रा ने आईएएनएस से कहा, “कुछ चीजों में छूट देना तो स्वीकार करने योग्य है, जैसे द्वितीय श्रेणी में। अन्यथा हमें यात्रा के खर्च की अन्य माध्यमों से भरपाई करनी होगी। हमें बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए धनराशि की व्यवस्था करनी होगी। और ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है।”
बत्रा का कहना है कि अगर सरकार दुर्घटनाओं को पूरी तरह खत्म करना चाहती है तो काकोदकर समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने होंगे, जिसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी भी शामिल है।
पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि रेलवे का वित्तीय मॉडल त्रुटिपूर्ण है और लगातार सरकारें इसे पहचानने में असफल रही हैं। त्रिवेदी ने यह भी कहा कि रेलवे को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
त्रिवेदी ने आईएएनएस से कहा, “रेलवे का पूरा वित्तीय मॉडल ही गड़बड़ है और रेलवे दिवालिया होने के कगार पर है। सिर्फ मौजूदा सरकार ही नहीं, लगातार सारी सरकारें इसे समझने में असफल रही हैं।”
उल्लेखनीय है कि 2012-13 में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने रेलवे के हर तरह के भाड़ों में वृद्धि का प्रस्ताव रखा था, लेकिन प्रस्ताव रखने के 15 दिनों के अंदर उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया गया।
त्रिवेदी ने कहा कि रेलवे के संचालन और खर्च के अनुपात को समझें तो रेलवे 100 रुपये की आय के लिए 130 रुपये खर्च करता है।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक का कहना है कि उपकरणों की खरीद और उसके वितरण में हो रही देरी के कारण रेलवे अवसंरचना का रख-रखाव पर्याप्त रूप से नहीं हो पा रहा।
रेलवे के एक पूर्व अधिकारी ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, “रेल के पटरी से उतरने या दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं। लेकिन इसके पीछे किसी एक कारण को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल है। यह सच है कि रेलवे वित्तीय रूप से दिवालिया हो चुका है। हालांकि उपकरणों और सामग्रियों की खरीद और वितरण में हो रही देरी भी चिंता का विषय है।”
–आईएएनएस
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