हिमाचल प्रदेश में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 150 करोड़ रुपये की एक पंचवर्षीय महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है, जिसके तहत प्रगतिशील कृषकों को फूलों की खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने के प्रति प्रेरित किया जाएगा।
इस समय प्रदेश में लगभग 5 हजार कृषक 643 हैक्टेयर भूमि में फूलों की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं जिससे लगभग 87.25 करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है।
नई योजना में फूल उत्पादकों की सहकारी सभाएं बनाने पर भी विशेष बल दिया जाएगा। इस समय प्रदेश में लगभग 8 फूल उत्पादक सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं।
हिमाचल पुष्प क्रान्ति नामक इस नई योजना के तहत इस वर्ष 10 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे, जिसमें कृषकों को अनेक
प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है ताकि वे पुष्प खेती को अपनाने के लिए आगे आएं।
पुष्प क्रान्ति योजना को लागू करने के लिए बागवानी विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है ताकि इस योजना को तुरन्त प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सके।
योजना का मुख्य उद्देश्य फूलों की व्यावसायिक खेती और सजावटी पौधों की खेती को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर सृजित करना और आने वाले समय में हिमाचल को एक पुष्प राज्य के रूप में उभारना है।
योजना के तहत नियंत्रित वातावरण में ग्रीन हाउस तकनीक के माध्यम से फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा तथा फूलों की उपज को राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर की मण्डियों तक पहुंचाने के विशेष प्रबन्ध किए जाएंगे ताकि कृषकों को इसके बेहतर दाम मिल सकें।
हिमाचल में फूलों की खेती के लिए उपयुक्त जलवायुगत परिस्थितियां विद्यमान हैं जिसके परिणामस्वरूप यहां कृषक इस लाभप्रद खेती को अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं।
प्रदेश में मुख्यतः गेंदा, गुलाब, ग्लैडियोलस, गुलदाउदी, कारनेशन, लिलियम, जरबैरा तथा अन्य मौसमी फूल उगाए जा रहे हैं।
प्रदेश में इस समय ‘कट फ्लावर’ का उत्पादन लगभग 16.74 करोड़ रुपये का हो रहा है। खुले बिकने वाले गेंदा और गुलदाउदी जैसे फूलों का यहां लगभग 12347 मीट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है।
पुष्प क्रान्ति योजना में ग्रीन हाउस तथा अन्य नियंत्रित व्यवस्था जैसे शेड नेट हाउस स्थापित करने के लिए कृषकों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा ताकि वे राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मण्डियों में विशेष मांग वाले विदेशी फूलों की खेती कर सकें।
प्रदेश में एलस्ट्रोमेरिया, लिमोनियम, आइरिस, ट्यूलिप तथा आर्किड जैसे फूलों की किस्मों को उगाने की व्यापक सम्भावनाएं हैं।
फूलों का विपणन, किसानों को प्रशिक्षण, उन्हें बढ़िया किस्म का बीज व बल्ब इत्यादि उपलब्ध करवाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि कृषकों को उत्पादन के पश्चात आने वाली विपणन चुनौतियों का सामना न करना पड़े और उन्हें बीज प्राप्त करने और परामर्श के लिए भटकना न पड़े।
कृषकों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत मिल रहे प्रोत्साहनों की तर्ज पर ही नई योजना में प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे ताकि कृषक इसका लाभ उठा सकें।
प्रदेश में इस समय छः फूलों की नर्सरियां स्थापित की गई हैं, जो शिमला के नवबहार और छराबड़ा, सोलन जिला के परवाणू, कुल्लू के बजौरा तथा कांगड़ा जिला के धर्मशाला तथा भटुआं में स्थित हैं।
इसके अलावा चायल और पालमपुर में मॉडल फूल उत्पादन केन्द्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें गुणवत्ता वाली फूलों की किस्में उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
प्रदेश में फूलों की ढुलाई को पथ परिवहन की बसों में प्राधिकृत किया गया है, जिससे फूल उत्पादक लाभान्वित हो रहे हैं। नई योजना के तहत निश्चित रूप से और अधिक कृषक फूलों की खेती के लिए आकर्षित होंगे और अर्थप्रद गतिविधियों से जुड़कर, यही फूल उनके जीवन में खुशियां की बहार लाएंगे।
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