लखनऊ, 03 मई (जनसमा)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार निर्वाचित विधायकों को धैर्यपूर्वक, संसदीय नियमों का पालन करते हुए तार्किक ढंग से सदन में अपनी बात रखने की सलाह देते हुए कहा कि इस प्रकार की नीति अपनाने से उन्हें कम समय में अधिक परिणाम प्राप्त होंगे। इससे जहां उन्हें अपने क्षेत्र की जनता की बेहतर सेवा करने का अवसर मिलेगा, वहीं सदन द्वारा बनाए गए कानून ज्यादा व्यवहारिक और समाज के लिए लाभदायक होंगे।
बुधवार को यहां विधान भवन के तिलक हॉल में 17वीं विधानसभा के लिए प्रथम बार निर्वाचित विधायकों के दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि विधानसभा एक ऐसा मंच है, जहां विधायकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को विधानसभा के पुस्तकालय में लिपिबद्ध कर सुरक्षित रखा जाता है, जिसका लाभ भावी पीढ़ी को भी मिलता है।
योगी ने सदन को लोकतंत्र की आधारशिला बताते हुए कहा कि यह वह स्थान है, जहां विधायकों के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। विधायिका ही लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदार संस्था है, क्योंकि यदि चुना हुआ जनप्रतिनिधि क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है तो जनता उसे दोबारा कतई मौका नहीं देती। तमाम आलोचनाओं के बावजूद आज भी विभिन्न सेवाओं से अवकाश प्राप्त लोग विधायिका का सदस्य बनना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से विधायिका के लोगों के प्रति जनता की धारणा में परिवर्तन हुआ है, इसके लिए तमाम कारण जिम्मेदार हैं। इस अवधारणा को बदलने के लिए विधायिका के लोगों को जागरूक होना होगा। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सदन में सामान्य शिष्टाचार और संसदीय नियमों का अनुपालन हमेशा अच्छा परिणाम देने वाला होता है।
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