Karunanidhi

तमिलनाडु के पूर्व मुख्य मंत्री और द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि का देहांत

चेन्नई के कावेरी अस्पताल में पिछले ग्यारह दिन से भर्ती तमिलनाडु के पूर्व मुख्य मंत्री और द्रविड मुनेत्र कड़गम के अध्यक्ष एम करुणानिधि का मंगलवार शाम देहांत होगया।

वे 94 साल के थे।

उनके निधन से तमिल साहित्य,  सिनेमा और राजनीति को भारी क्षति हुई।

उनका जन्म 3 जून 1924 को तमिलनाडु के नागपट्टम जिले के गांव थिरुक्कुवलाई में हुआ था।

डाक्टरों ने उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की किन्तु  उनके ज़रूरी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।

उनके निधन से तमिल राजनीति के महान् नेता का अवसान होगया जिसने तमिलों के जीवन में खासकर गरीबों दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को आगे बढ़ाने में भरपूर मदद की थी।

करुणानिधि पहली बार 1969 में मुख्यमंत्री बने। उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल 10 फरवरी 1969 से 4 जनवरी 1971 तक रहा।

दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और 15 मार्च 1971 से लेकर 31 जनवरी 1976 तक उनका  दूसरा कार्यकाल रहा तीसरी बार करुणानिधि चुनाव जीतकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।

इस समय इनका कार्यकाल 27 जनवरी 1989 से लेकर 30 जनवरी 1991 तक रहा।

करुणानिधि चौथीबार मुख्यमंत्री बने उस समय इनका कार्यकाल 13 मई 1996 से लेकर 13 मई 19 2001 तक रहा।

पांचवी बार करुणानिधि मुख्यमंत्री बने और उनका कार्यकाल 13 मई 2006 से 15 मई 2011 तक रहा।

वे तमिलनाडु राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री थे। वह मुथु वैल्यू और अंजू की संतान थे।

करुणानिधि तमिल सिनेमा के दिग्गज लेखक माने जाते थे।

उन्होंने अपने अपने कैरियर की शुरुआत स्क्रीनप्ले राइटर से के रूप में की।

उनकी पहली फिल्म थी राजकुमारी जो 1947 में आई थी।

करुणानिधि की यादगार फिल्म थी पराशक्ति यह फिल्म 1952 में आई थी और जिसने तमिल सिनेमा में एक इतिहास कायम किया था।

इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने द्रविड़ियन मूवमेंट को आगे बढ़ाया।

करुणानिधि ब्राह्मण संस्कृति के विरोधी रहे हैं। करुणानिधि 20 साल की उम्र में जुपिटर पिक्चर्स में काम करने के लिए गए थे राजकुमारी फिल्म ने उन्हें एक बहुत बड़ी लोकप्रियता दी।

उनके जीवन की खास बात थी कि 2011 तक राजनीतिक जीवन के साथ.साथ भी वे स्क्रीन प्ले राइटर का काम कर रहे थे।

2011 में उनकी दो तमिल फिल्में आई थी। 1948 में अभिमन्यु 1955 में रंगून राधा 1956 में राजा रानी । उनकी लगभग 40 ऐसी फिल्में है जो बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

तमिल सिनेमा के सभी बड़े कलाकारों ने इनकी फिल्मों में काम किया था।

करुणानिधि तमिल साहित्य के भी विद्वान माने जाते थे अनेक पुस्तकें लिखी हैं यह नाटकों

के भी बहुत शौकीन थे और कई नाटक लिखे। करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में

राजनीति में प्रवेश किया था जब वे 33 साल के हुए तो उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा में प्रवेश लिया।

1957 में उन्होंने चुनाव जीता था और 1961 में उन्हें डीएमके पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाया गया जब डीएमके सत्ता में आई 1967 में तब करुणानिधि पहली बार पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के मंत्री बनाए गए।

तमिलनाडु के इस महान नेता को तीसरे विश्व तमिल कॉन्फ्रेंस में जो पेरिस में 1970 में आयोजितकी गई थी, विशेष संबोधन के लिए बुलाया गया था। बाद में वे क्वालालंपुर वर्ड कॉन्फ्रेंस में भी गए थे। करुणानिधि का विश्व के तमिल समाज में बहुत आदरपूर्वक स्थान है।

करुणानिधि को 1971 में अन्नामलाई यूनिवर्सिटी सिटी ने ऑनरेरी डॉक्टरेट प्रदान की थी।

करुणानिधि ने 1957 से लेकर 2016 तक 13 बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते।  उनको कलैगनार के नाम से भी बुलाया जाता है जिसका मतलब होता है कलाकार।