नई दिल्ली,23 जुलाई (जनसमा)। निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि उन्हें महान भारत के उदय में भागीदार होने और प्रत्यक्षदर्शी बनने का विशेष अवसर प्राप्त हुआ है।
प्रणव मुखर्जी रविवार को संसद के केंद्रीय हॉल में अपने सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में बोल रहेथे। बीते दिनों को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा, “जब मैंने पहली बार इस पवित्र संस्थान के प्रवेश द्वार से पहली बार प्रवेश किया, तब मेरी उम्र 34 साल थी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उनकी सलाह और सहयोग से उन्हें लाभ हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि मोदी बदलाव के लिए पूरे जोश और ऊर्जा के साथ जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी के साथ उनके संबंध उन्हें आने वाले समय में भी याद रहेंगे।
मुखर्जी ने कहा, “चूंकि मैं इस गणराज्य के राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हो रहा हूं, मेरा इस संसद के साथ संबंध भी समाप्त हो रहा है। अब मैं भारतीय संसद का हिस्सा नहीं रहूंगा। यह थोड़ा दुखद और स्मृतियों की बरसात जैसा होगा, जब कल मैं इस शानदार इमारत को विदा कहूंगा।”
मुखर्जी ने कहा, “1969 में मैं राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में आया। तब से पिछले 37 वर्षो के दौरान मैंने लोकसभा और राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। मैंने ऐसे समय में इस संसद में प्रवेश किया, जब राज्यसभा अनुभवी सांसदों और स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं से भरा हुआ था, जिनमें से कुछ बेहद प्रभावशाली वक्ता थे – एम. सी. चागला, अजित प्रसाद जैन, जयरामदास दौलतराम, भूपेश गुप्ता, जोएकिम अल्वा, महावीर त्यागी, राज नारायण, डॉ. भाई महावीर, लोकनाथ मिश्रा, चित्ता बासु और भी कई लोग।”
प्रणब मुखर्जी का पांच वर्ष का कार्यकाल कल समाप्त हो रहा है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंगलवार को पद की शपथ लेंगे। समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ मौजूद थे।
उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रपति मुखर्जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति कार्यालय की प्रतिष्ठा और गरिमा बढी है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि मुखर्जी ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियां गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ निभाई हैं।
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