देश के इतिहास में पहली बार एक असाधारण घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने नयी दिल्ली में शीर्ष अदालत की प्रशासनिक कमियों से शुक्रवार को देश को अवगत कराया।
मुख्य न्यायाधीश के बाद दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारे पास जब कोई विकल्प नहीं बचा तो देश के सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक व्यवस्था ठीक नहीं चल रही है।अगर ऐसे ही चलता रहा तो लोकतंत्र चल नहीं सकता।
टीवी फोटो : मीडिया के समक्ष विनीत भाव से अपनी बात कहते न्यायमूर्ति चेलमेश्वर
जो चार न्यायाधीश मीडिया के सामने आए वे हैं न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ।
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने विनीत भाव से मीडिया के समक्ष जो बातें रखी वे इसप्रकार हैं –
- हमारे सारे प्रयास बेकार गए।
- ऐसे ही चलता रहा तो लोकतंत्र चल नहीं सकता।
- हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद हम बोले कि कि हमने अपनी आत्मा बेचदी।
- सालों बाद यह मलाल हो कि हम सच के लिए खड़े नहीं हुए।
बताया जाता है कि ये चारों जज सुबह 10 बजे मुख्य न्यायाधीश से मिलने गए थे। इससे पहले नवंबर के महीने में उन्हें एक चिट्ठी भी लिखी गई थी। जब मीडिया ने परंपरा तोड़कर सामने आने के बाबत पूछा और कारण जानने चाहे तो न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि आपको उस पत्र की प्रतियां देदी जाएंगी जिसमें सब कुछ लिखा गया है।
इधर चैनलों पर खबर गर्म होती रही लेकिन पहली बार मीडिया ने कयास नहीं लगाए और चिट्ठी आने का इंतजार किया।
मीडिया को जो चिट्ठी प्राप्त हुई उसमें कही गई बातें इस प्रकार हैं –
- महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक निर्णय की परंपरा से बाहर होरहे हैं।
- केसों के बंटवारे में मुख्य न्यायाधीश नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
- महत्वपूर्ण मामले बिना किसी वजह के अपनी पसंद की बैंच को देते हैं।
- इससे संस्थान की छवि खराब होरही है।
इस सब से यह साफ लगता है कि सुप्रिम कोर्ट के प्रशानिक ढांचे में कहीं न कहीं कोई ऐसी दरार आगई है, जिसे देश और लोकतंत्र के हित में भरना जरूरी है।
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