Gandhi

बंटवारे के विरोध में पंद्रह अगस्त,1947 को गांधी जी ने किया था अनशन

partition

Gandhi-Jinnah talks, held in Bombay in September, 1944.

पंद्रह अगस्त,1947 को जिस दिन भारत का बंटवारा (partition ) हुआ,  महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने बंटवारे के विरोध में अनशन किया था।

महात्मा गांधी नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा (partition ) हो। बंटवारा (partition )  रोकने के लिए के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये।

गांधी जी ने मुस्लिम लीग (Muslim League) के नेता मोहम्मद अली जिन्ना (M A Jinnah) से सितंबर 1944 में मुंबई में बातचीत भी की किन्तु कोई नतीजा नहीं निकला।

बंटवारे (partition ) को रोकने के बारे में मोहम्मद अली जिन्ना ने गांधी जी की किसी बात पर कोई उत्तर (response) नहीं दिया।

गांधी जी ने कहा कि एकता नहीं रही तो मेरे जीवन भर का कार्य व्यर्थ रहेगा। वह नहीं चाहते थे कि जिन्ना और मुस्लिम लीग भारत के बंटवारे की बात करे और मुसलमानों के लिए अलग देश बनाया जाय।

जब बंटवारा (partition ) हो गया और दो देश भारत और पाकिस्तान बन गए तो गांधीजी (Gandhiji) उद्विग्न रहने लगे। वे जनवरी 47 से पूरे साल तक बंगाल बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि अशांत क्षेत्रों में शांति स्थापना के लिए प्रयास करते रहे।

सत्ता से उन्हें कोई मोह नहीं था। उन्होंने 16 जनवरी 1948 को एक सभा में कहा ‘मैं अपना जीवन व्यर्थ समझूंगा यदि हिंदुस्तान और पाकिस्तान में अशांति का माहौल बना रहेगा।’ घटनाओं पर नज़र डालें तो लगता है कि उनकी किसी ने नहीं सुनी।

आखिर क्यों नहीं  महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की बात सुनी गई, यह सवाल आज की पीढ़ी के सामने ज्वलंत खड़ा है।