छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के मनोरा ब्लॉक के ग्राम रेमने गेड़ई (Village Remne Gedai) में स्थापित गौठान (Gauthan) तथा इसके आस-पास का प्राकृतिक सौन्दर्य देखने लायक है।
स्थानीय बोली में गौशाला (Cow Shelter) को गौठान (Gauthan) कहते हैं।
ईब नदी के किनारे स्थित इस गौठान (Gauthan) में जलापूर्ति के लिए सोलर सिस्टम स्थापित किया गया है।
छत्तीसगढ़ शासन की नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी योजना के तहत विकसित गौठान (Gauthan) पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि जनसामान्य के लिए भी एक रमणीय स्थल बन गया है।
प्रकृति प्रेमियों का कहना है कि रेमने गेड़ई के गौठान (Gauthan) के इलाके से उगते और डूबते सूरज का आकार सर्वाधिक स्पष्ट और बड़ा दिखाई देता है।
यहां से उगते और डूबते सूरज का बेहद मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
गौठान के निर्माण के बाद से जनसामान्य की भी चहल-पहल इस हिस्से में बढ़ गई है।
रेमने गेड़ई में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी योजना के तहत साढ़े पांच एकड़ हिस्से में गौठान विकसित किया गया है।
यहां लगभग 17 एकड़ रकबा चारागाह विकास एवं अन्य आय मूलक गतिविधियों के लिए सुरक्षित है। गौठान में आने वाले पशुओं के हरे चारे के व्यवस्था के लिए चारागाह के लिए सुरक्षित 17 एकड़ भूमि में से प्रारंभिक तौर पर तीन एकड़ भूमि में हरा चारा की बुवाई के लिए जुताई एवं अन्य तैयारी शुरू हो गई है।
जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि आज से चार माह पहले तक बियाबान रहा यह हिस्सा अब गौठान (Gauthan) बनने के बाद से ग्रामीणों की पसंदीदा जगह बन गया है।
यहां भोर से लेकर अंधेरा घिरने तक आमदरफ्त बनी रहती है।
रेमने गौठान में 409 गौवंशीय तथा 705 अजावंशीय (बकरीप्रजाति) के चारे पानी, विचरण एवं विश्राम का इंतजाम है।
पशुओं के पेयजल के लिए यहां तीन नग टंकी और चाराखाने के लिए कोटना का निर्माण कराया गया है।
पशुओं के विश्राम के लिए तीन स्थानों पर चबूतरा तथा पैरा रखने के लिए 10 नग मचान बनाया गया है।
Follow @JansamacharNews