आम बजट 7 : देश के विकास के समक्ष 3 वैश्विक चुनौतियां

नई दिल्ली, 1 फरवरी| केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में धीमी विकास दर की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 में देश की विकास दर अधिक रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था स्थिर है लेकिन इसके समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियां हैं। संसद में बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा, “निम्न विकास दर की जगह उच्च विकास दर ले लेगी। उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं 2017 में पटरी पर लौट सकती हैं।”

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में वैश्विक मोर्चे पर देश के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा, “अमेरिकी फेडरल रिजर्व 2017 में ब्याज दरें बढ़ा सकता है जिससे निवेशकों द्वारा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से पैसे निकालने की दर बढ़ सकती है। फेडरल रिजर्व का मौजूदा मौद्रिक रुख इन चुनौतियों में से एक है।”

जेटली ने कहा, “कच्चे तेल की कीमतों का उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ता है। कमोडिटी विशेष रूप से कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता दूसरी प्रमुख चुनौती है।”

जेटली ने कहा कि तीसरी प्रमुख चुनौतियों में वैश्वीकरण पर जनमत है जिससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से निर्यात प्रभावित होगा।

उन्होंने कहा, “संरक्षणवाद की नीति के कारण वैश्वीकरण को लेकर जनमानस बदला है और इससे कई विकासशील देशों के निर्यात पर असर पड़ सकता है और इन देशों में भारत भी है।”

गौरतलब है कि मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में 2016-17 के लिए जीडीपी विकास दर में 7.6 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया गया है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, 2016-17 में अस्थायी गिरावट के बाद 2017-18 में जीडीपी इस रुझान में रह सकती है जबकि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी 6.75-7.5 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान है।

जेटली ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहना देश की अर्थव्यवस्था की सफलता की नींव है।

उन्होंने कहा, “साल 2017 में देश की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो सकती है। महंगाई नियंत्रित हो गई है। हमें वैश्विक विकास के वाहक के तौर पर देखा जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2016 में वैश्विक जीडीपी 3.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था जबकि 2017 में 3.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।   –आईएएनएस