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50,000 रुपये मूल्‍य तक के उपहार जीएसटी के दायरे से बाहर

नई दिल्ली, 10 जुलाई (जनसमा)। सरकार ने यह साफ किया है कि किसी नियोक्‍ता द्वारा अपने कर्मचारी को एक साल में दिए गए 50,000 रुपये मूल्‍य तक के उपहार जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, कारोबार को आगे बढ़ाने हेतु दिए गए 50,000 रुपये से ज्‍यादा मूल्‍य के गैर नकद उपहारों पर जीएसटी लगेगा। बिजनेस वल्र्ड में इस तरह की चर्चाएं थीं कि कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को दिये जाने वाले उपहारों एवं अतिरिक्‍त लाभों पर जीएसटी प्रणाली के तहत कर लगेगा।

सरकार का कहना है कि ऐसे में सवाल यह उठता है कि उपहार की परिभाषा क्‍या है। उपहार को जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। आम भाषा में, उपहार बदले में कुछ भी नकद राशि लिए बगैर दिया जाता है, यह स्‍वेच्‍छा से दिया जाता है और कभी-कभी दिया जाता है। कोई भी कर्मचारी यह नहीं कह सकता है कि उपहार लेना उसका अधिकार है। इसी तरह कोई भी कर्मचारी उपहार पाने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकता है।

एक अन्‍य मुद्दा अतिरिक्‍त लाभों पर लगने वाले कर से जुड़ा हुआ है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि अपने रोजगार के संबंध में किसी कर्मचारी द्वारा नियोक्‍ता को दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी (न तो वस्‍तुओं की आपूर्ति अथवा सेवाओं की आपूर्ति) के दायरे से बाहर है। इसका मतलब यही हुआ कि नियोक्‍ता और कर्मचारी के बीच हुए अनुबंधात्‍मक समझौते के तहत नियोक्‍ता की ओर से कर्मचारी को होने वाली आपूर्ति पर जीएसटी नहीं लगेगा। इसके अलावा, जीएसटी के तहत इनपुट टैक्‍स क्रेडिट (आईटीसी) योजना के तहत किसी क्‍लब, स्‍वास्‍थ्‍य एवं फिटनेस केन्‍द्र [धारा 17 (5) (बी) (ii)] की सदस्‍यता के आईटीसी की अनुमति नहीं दी गई है।

अत: इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि यदि इस तरह की सेवाएं नियोक्‍ता द्वारा अपने सभी कर्मचारियों को मुफ्त में मुहैया कराई जाती हैं तो उन पर जीएसटी नहीं लगेगा, बशर्ते कि नियोक्‍ता द्वारा उन्‍हें खरीदते वक्‍त समुचित जीएसटी का भुगतान कर दिया गया हो। यही बात कर्मचारियों को मुफ्त में दिये जाने वाले मकान पर भी लागू होगी, जब यह मकान नियोक्‍ता और कर्मचारी के बीच हुए अनुबंध के तहत दिया गया हो और वह कर्मचारी पर आने वाली कुल लागत (सी2सी) का हिस्‍सा हो।