नई दिल्ली, 9 फरवरी | बीते साल वैश्वीकरण में भारी विरोधाभास देखा गया। खासतौर से राष्ट्रवादी-संरक्षणवादी प्रवृत्तियों द्वारा भारी अनिश्चितता का माहौल बनाया गया, हालांकि स्थानीय स्तरों पर लगातार विकास होता है, जिससे पता चलता है कि दुनिया एक-दूसरे पर कितनी आश्रित हो गई है। सऊदी अरब के एक शीर्ष सऊदी अरब विशेषज्ञ ने गुरुवार को यह बाते कही।
सऊदी अरब की प्रमुख तेल कंपनी अरामको के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला एस. जुमाह ने विश्व ऊर्जा नीति सम्मेलन के उद्घाटन में यहां कहा, “वैश्विक भूआर्थिक माहौल के दो पहलू विशेष रूप से विचित्र हैं। हाल के धटनाक्रम को देखते हुए अनिश्चितता बढ़ी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर खासतौर से ऊर्जा विकास ने दिखाया है कि दुनिया एक-दूसरे पर कितनी आश्रित है।”
उन्होंने पिछले साल के दौरान वैश्विकरण रोधी प्रचलन के कारण बढ़ी अनिश्चिता का उल्लेख करते हुए जुमाह ने ब्रिटेन द्वारा यूरोपीय संघ से निकलने (ब्रेक्सिट), अमेरिका के राष्ट्रपति पद डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने, जो जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की वार्ता से अमेरिका को बाहर करने के उनके घोषित इरादे, तथा सीरिया में जारी लड़ाई का हवाला दिया।
सऊदी विशेषज्ञ ने कहा, “वैश्विक अंतरसंयोजकता के साथ मिलकर हाल की घटनाओं से जो अनिश्चिता बढ़ी है, उसका मतलब यह है कि हम अशांत समय में रह रहे हैं।”–आईएएनएस
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