भारतीय महिला डॉक्टर (Indian female doctor) कादम्बिनी गांगुली (Kadambini Ganguly) को उनकी जयंती के उपलक्ष्य में गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है।
कादम्बिनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई 1861 को ब्रिटिश भारत के भागलपुर, बिहार में हुआ था। 3 अक्टूबर, 1923 को एक ऑपरेशन करने के बाद कादम्बिनी गांगुली का देहांत हो गया था।
पहली भारतीय महिला डॉक्टरों में से एक कादम्बिनी गांगुली 1884 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाली पहली महिला थी। उन्होंने मेडिकल शिक्षा की ट्रेनिंग स्कॉटलैंड में ली थी और भारत में एक सफल चिकित्सा पद्धति की स्थापना की।
उनके पिता ब्रह्म सुधारक ब्रज किशोर बसु भागलपुर में स्कूल के हेडमास्टर थे। उन्होंने और अभय चरण मल्लिक ने भागलपुर में महिलाओं की मुक्ति के लिए आंदोलन शुरू किया और भारत में पहली बार 1863 में महिला संगठन भागलपुर महिला समिति की स्थापना की। मूलतः उनका परिवार बरीसाल में चांदसी का रहने वाला था, जो अब बांग्लादेश में है।
भारत में 21 वीं शताब्दी के तीसरे दशक में भी रूढ़ियों में जकड़े भारतीय समाज की तरह उन दिनों भी महिला मुक्ति का विरोध करने वाले तत्कालीन रूढ़िवादी समाज द्वारा उनकी भारी आलोचना की गई थी।
कादम्बिनी गांगुली के भारत लौटने और महिलाओं के अधिकारों के लिए लगातार अभियान चलाने के बाद, उन्हें परोक्ष रूप से ‘बंगबाशी’ पत्रिका में ‘वेश्या’ कहा गया, लेकिन रूढ़ीवादी सामाजिक विरोध उनके दृढ़ संकल्प को नहीं रोक सका।
कादम्बिनी गांगुली के पति द्वारकानाथ गांगुली मामले को अदालत में ले गए और अंततः संपादक महेश पाल को 6 महीने की जेल की सजा मिली और गांगुली को जीत हासिल हुईं।
कादम्बिनी गांगुली ने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने से 11 दिन पहले 12 जून, 1883 को द्वारकानाथ गांगुली से शादी की। उनके आठ बच्चे हुए और इस कारण उन्हें अपने परिवार को भी पूरा समय देना पड़ता था। बावजूद इसके उन्होंने अपने प्रोफेशन के साथ न्याय किया और अपने काम से शोहरत हासिल की।
उनकी जीवनी पर आधारित एक टेलीविजन बंगाली धारावाहिक प्रोथोमा कादम्बिनी का मार्च 2020 से स्टार जलशा पर प्रसारण किया गया, जिसमें सोलंकी रॉय और हनी बाफना मुख्य भूमिका में हैं और यह हॉटस्टार पर भी उपलब्ध है। जी बांग्ला में उषासी रे अभिनीत कादम्बिनी (2020) नामक एक अन्य बंगाली श्रृंखला का भी प्रसारण किया गया।(सामग्री विकिपीडिया से साभार)
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