गिकीसरकार महिलाओं के कल्याण के लिए प्रजनन प्रौद्यो नियमन (Reproductive Technology Regulation ) से संबंधित एक विधेयक (Bill) लायेगी।
आज नई दिल्ली में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इस विधेयक का उद्देश्य देश की प्रत्येक महिला के प्रजनन संबंधी अधिकार (reproductive right) को सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए एक राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया जायेगा जो इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न क्लिनिकों में कार्यरत लोगों के लिए एक आचार संहिता तैयार करेगा।
संसद में ‘सरोगेसी नियमन विधेयक 2020 (Surrogacy Regulation Bill 2020) को पेश करने और ‘चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी देने के बाद यह अहम कदम उठाया गया है। ये विधायी उपाय महिलाओं के प्रजनन अधिकारों (reproductive rights) के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम हैं।
संसद में पारित हो जाने एवं इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद केन्द्र सरकार इस अधिनियम पर अमल की तिथि को अधिसूचित करेगी। इसके बाद राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया जाएगा।
विधेयक में उन लोगों के लिए कठोर दंड का भी प्रस्ताव किया गया है, जो लिंग जांच, मानव भ्रूण अथवा जननकोष की बिक्री का काम करते हैं और इस तरह के गैर-कानूनी कार्यों के लिए एजेंसियां या संगठन चलाते हैं।
फायदा
इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह देश में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (reproductive technology) सेवाओं का नियमन करेगा।
यह कानून बांझ दम्पत्तियों में सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) के तहत नैतिक तौर-तरीकों को अपनाए जाने के संबंध में कहीं अधिक भरोसा पैदा करेगा।
सहायक प्रजनन तकनीक नियमन विधेयक 2020’ महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की रक्षा एवं संरक्षण के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए अनेक कानूनों की श्रृंखला में नवीनतम कदम है।
देश में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं (Assisted Reproductive Technology Services) में सुरक्षित एवं नैतिक तौर-तरीकों को अपनाने के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं।
इस विधेयक के जरिए राष्ट्रीय बोर्ड, राज्य बोर्ड, नेशनल रजिस्ट्री और राज्य पंजीकरण प्राधिकरण सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी से जुड़े क्लिनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों का नियमन एवं निगरानी करेंगे।
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