नई दिल्ली, 03 अप्रैल। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक रिलीज़ में दवाओं की कीमतों में 12 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की ख़बरों को झूठा, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण कहा है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह दावा भी किया गया है कि कीमत में इस वृद्धि से 500 से अधिक दवाएं प्रभावित होंगी।
कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान 2022 में इसी अवधि की तुलना में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार आधार वर्ष 2011-12 के साथ थोक मूल्य सूचकांक में वार्षिक परिवर्तन (+) 0.00551 प्रतिशत था। इसी के अनुसार, प्राधिकरण ने 20 मार्च, 2024 को हुई बैठक में अनुसूचित दवाओं के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) वृद्धि @ (+) 0.00551 प्रतिशत को मंजूरी दी है।
उच्चतम मूल्य आज की तिथि में 923 दवाओं पर प्रभावी हैं। 782 दवाओं के लिए प्रचलित उच्चतम मूल्यों में कोई परिवर्तन नहीं होगा और वर्तमान उच्चतम मूल्य 31मार्च,2025 तक प्रभावी रहेंगे। रुपये 90 से 261 रुपये तक की अधिकतम कीमत की चौवन (54) दवाओं में न्यूनतम 0.01 रुपये (एक पैसा) की मामूली वृद्धि होगी। अनुमत मूल्य वृद्धि न्यूनतम है, इसलिए कंपनियां इस वृद्धि का लाभ उठा भी सकती हैं और नहीं भी उठा सकतीं। इसी तरह वर्ष वित्त वर्ष 2024-25 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित दवाओं के अधिकतम मूल्य में लगभग कोई परिवर्तन नहीं होगा।
थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि डीपीसीओ, 2013 के अनुसार अनुमत अधिकतम वृद्धि है और बाजार की गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए निर्माता इस वृद्धि का लाभ उठा भी सकते हैं और नहीं भी उठा सकते हैं। कंपनियां अपनी दवाओं के उच्चतम मूल्य के आधार पर अपने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को समायोजित करती हैं, क्योंकि एमआरपी (जीएसटी को छोड़कर) कोई भी मूल्य हो सकता है जो अधिकतम मूल्य से कम हो। संशोधित कीमतें 1 अप्रैल 2024 से लागू होंगी और संशोधित कीमतों का विवरण एनपीपीए की वेबसाइट www.nppaindia.nic.in पर उपलब्ध है।
गैर-अनुसूचित फार्मूलेशन के मामले में निर्माता को मूल्य निर्धारित करने की स्वतंत्रता होती है। लेकिन गैर-अनुसूचित फार्मूलेशनों का कोई भी निर्माता डीपीसीओ, 2013 के पैरा 20 के अंतर्गत पूर्ववर्ती 12 महीनों के दौरान अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि नहीं कर सकता है।
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