सरकार का जोर उद्योग के लिये व्यापार को सरल बनाने पर है। उद्योग जगत पर नियमों का बोझ कम करने का सरकार का प्रयास है। राज्यों के सहयोग से जिला स्तर तक बदलाव जरूरी है।
यह विचार व्यक्त करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने उद्योग जगत के साथ प्रस्तावित नयी उद्योग नीति पर एक देशव्यापी चर्चा की श्रृंखला की शुरुआत की।
पहली चर्चा 02 फरवरी को गुवाहाटी में आयोजित की गयी थी। फिक्की और उद्योग नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा आयोजित इस बैठक में उत्तर पूर्व के सरकारी अधिकारियों के साथ वहां के 120 से ज्यादा उद्योगपतियों ने भाग लिया था।
अपने संबोधन में मंत्री ने जोर दिया कि 25 वर्ष बाद आरंभ की गयी इस प्रक्रिया में उद्योग जगत की समस्याओं को गंभीरता से सुना जाता है और भारतीय उद्योग को भविष्य के लिये तैयार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले वित्तीय संकट के समय 1956 और 1991 में ऐसे प्रयास किये गये थे।
इस आयोजन में असम सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री चंद्र मोहन पाटोवारी भी उपस्थित थे। पाटोवारी ने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र मे दक्षिण पूर्व एशिया के लिये राजद्वार बनने की संभावना है। उन्होंने उत्तर पूर्व के लिये एक उद्योग नीति पर जोर दिया।
डीआईपीपी में संयुक्त सचिव सुश्री वंदना कुमार ने भावी नीति के मुख्य बिंदुओं पर् व्यापक प्रस्तुति दी।
फिक्की के विनिर्माण समिति के मुखिया पुनीत डॉलमिया ने अविश्वास कम करने और व्यापार करने की प्रक्रिया को और सरल बनाने पर जोर दिया।
डीआईपीपी के अतिरिक्त सचिव अतुल चतुर्वेदी, फिक्की के महासचिव संजय बारू और फिक्की के महानिदेश दिलीप चेनाय भी इस अवसर पर उपस्थित थे
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