Modi

लोकतंत्र में सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 28 मई (जनसमा)।  “मेरा स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए, जनता-जनार्दन को अपने काम का हिसाब देना चाहिए। मैं उन सब लोगों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने समय निकाल करके हमारे काम की गहराई से विवेचना की, कहीं सराहना हुई, कहीं समर्थन आया, कहीं कमियाँ निकाली गई, मैं इन सब बातों का बहुत महत्व समझता हूँ।”

यह बात रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकप्रिय ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा “मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने critical और important feedback दिये हैं। जो त्रुटियां होती हैं, कमियाँ होती हैं, वो भी जब उजागर होती हैं तो उससे भी सुधार करने का अवसर मिलता है। बात अच्छी हो, कम अच्छी हो, बुरी हो, जो भी हो, उसमें से ही सीखना है और उसी के सहारे आगे बढ़ना है। constructive criticism लोकतंत्र को बल देता है। एक जागरूक राष्ट्र के लिए, एक चैतन्य पूर्ण राष्ट्र के लिए, ये मंथन बहुत ही आवश्यक होता है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने रेडियो संवाद ’मन की बात’ पर देश और दुनिया से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं से अभिभूत है। उन्होंने इसकी विवेचना भी की और आभार भी जताया।

प्रधानमंत्री ने कहा “मैं भी आप की तरह एक सामान्य नागरिक हूँ और एक सामान्य नागरिक के नाते अच्छी-बुरी हर चीज़ का प्रभाव मुझ पर भी वैसा ही होता है, जैसा किसी भी सामान्य नागरिक के मन पर होता है। ‘मन की बात’ को कोई एक तरफ़ा संवाद के रूप में देखता है, कुछ लोग उसको राजनीतिक दृष्टि से टीका-टिप्पणी भी करते हैं। लेकिन इतने लम्बे तज़ुर्बे के बाद मैं अनुभव करता हूँ, मैंने जब, ‘मन की बात’ शुरू की तो मैंने भी सोचा नहीं था। ‘मन की बात’ इस कार्यक्रम ने, मुझे हिन्दुस्तान के हर परिवार का एक सदस्य बना दिया है। ऐसा लगता है जैसे मैं परिवार के बीच में ही घर में बैठ करके घर की बातें करता हूँ और ऐसे सैकड़ो परिवार हैं, जिन्होंने मुझे ये बातें लिख करके भी भेजी हैं।

मोदी ने कहा मैं राष्ट्रपति जी का, उपराष्ट्रपति जी का, स्पीकर महोदया का आभारी हूँ कि उन्होंने समय निकाल करके, इतने वरिष्ठ पद पर बैठे हुए लोगों ने ‘मन की बात’ को ये अहमियत दी। एक प्रकार से अपने आप में ‘मन की बात’ को एक नया आयाम दे दिया। हमारे कुछ मित्र इस ‘मन की बात’ की किताब पर जब काम कर रहे थे, तो मेरे से भी कभी चर्चा की थी और कुछ समय पहले जब इसकी बात चर्चा में आई तो मैं हैरान था। अबु धाबी में रहने वाले एक artist अक़बर साहब के नाम से जाने जाते हैं। अक़बर साहब ने सामने से प्रस्ताव रखा कि ‘मन की बात’ में जिन विषयों पर चर्चा हुई है, वो अपनी कला के माध्यम से उसका sketch तैयार करके देना चाहते हैं और एक भी रूपया लिये बिना, अपना प्यार जताने के लिए अक़बर साहब ने मन की बातों को कला का रूप दे दिया। मैं अक़बर साहब का आभारी हूँ।