राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने गुरूवार 20 जून,2019 को संसद ( Parliament) के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- बढ़ता हुआ जल-संकट (water crisis)।
राष्ट्रपति ने चिन्ता जताते हुए कहा कि देश में जल संरक्षण की परंपरागत और प्रभावी व्यवस्थाएं समय के साथ लुप्त होती जा रही हैं। तालाबों और झीलों पर घर बन गए और जल-स्रोतों के लुप्त होने से गरीबों के लिए पानी का संकट (water crisis) बढ़ता गया।
उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभावों के कारण आने वाले समय में, जलसंकट (water crisis) के और गहराने की आशंका है।
नागरिकों को अपने दायित्व का अहसास कराते हुए उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि जिस तरह देश ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर गंभीरता दिखाई है, वैसी ही गंभीरता ‘जल संरक्षण एवं प्रबंधन’ के विषय में भी दिखानी होगी।
कोविन्द ने कहा कि हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना ही होगा। नए ‘जलशक्ति मंत्रालय’ का गठन, इस दिशा में एक निर्णायक कदम है जिसके दूरगामी लाभ होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
राष्ट्रपति ने भरोसा दिलाया कि सरकार सूखे की चपेट में आए क्षेत्रों की समस्याओं के प्रति पूर्णतया सचेत है और हर प्रभावित देशवासी के साथ खड़ी है।
कोविन्द ने कहा कि राज्य सरकारों और गांव के स्तर पर सरपंचों के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पीने के पानी की कम से कम दिक्कत हो, और किसानों को भी मदद मिल सके।
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