बैंगलूरू, 30 मई (जनसमा)। वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव डॉ. हसमुख अधिया ने कहा है कि भारत की आर्थिक क्षमता बहुत अधिक है और जीएसटी आर्थिक ऊर्जा को वास्तविक विकास में बदलने में मदद करेगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू किए जाएंगे।
डॉ आदििया जीएसटी के हितधारकों, टैक्स प्रदाता, ट्रेडर्स और ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों को टाउन हॉल में आयोजित बैठक में संबोधित कर रहे थे। यह बैठक जीएसटी के आउटरीच कार्यक्रम के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), भारत सरकार और वाणिज्यिक कर के आयुक्त, कर्नाटक सरकार के आयुक्त द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ.अधिया ने आगे कहा कि कर्नाटक सरकार ने जीएसटी के लिए अधिकतम योगदान दिया है और केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है क्योंकि जीएसटी एक गेम चेंजर साबित होगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी युवा पीढ़ी के लिए बहुत सी नौकरियों के निर्माण में मदद करेगा।
डॉ.अधिया ने आगे कहा कि भारत की आर्थिक क्षमता बहुत अधिक है और जीएसटी आर्थिक ऊर्जा को वास्तविक विकास में बदलने में मदद करेगा।
हितधारकों से विभिन्न प्रश्नों के जवाब में, डॉ. अधिया ने जीएसटी के लाभों की व्याख्या की और कहा कि इससे व्यापार करने में आसानी होगी।
उन्होंने कहा कि जीएसटी उद्येश्य विभिन्न कर कानूनों और कर नियमों को एकरूपता में लाना होगा। जीएसटी शासन के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का सहज हस्तांतरण होगा। अपने संक्षिप्त ब्रीफिंग में, डॉ. आदिया ने जीएसटी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों के संदेह को दूर किया। उन्होंने जीएसटी ट्विटर हैंडल के जरिए जीएसटी के बारे में बड़े पैमाने पर लोगों के संदेहों को स्पष्ट करने और पूछताछ करने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री कृष्णा बायर गौड़ा, कृषि मंत्री, कर्नाटक सरकार और जीएसटी परिषद के सदस्य ने विस्तार से s बात की और जीएसटी शासन के तहत कर ढांचे के तर्क को समझाया। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद के योगदान की व्याख्या भी की, जो अब तक सभी फैसलों को सर्वसम्मति से लिया और जीएसटी कार्यान्वयन के वर्तमान स्तर तक पहुंचने में मदद की।
उन्होंने कहा कि जीएसटी एक प्रमुख ग्राहक-अनुकूल अप्रत्यक्ष कर सुधार है। जीएसटी लागू करने से करों को बढ़ाने का इरादा नहीं है बल्कि राजस्व में वृद्धि करना है, क्योंकि यह टैक्स प्रशासन में पारदर्शिता, सरलीकरण और दक्षता लाएगा और कर चोरी को रोकने में मदद करेगा और इससे कर वसूलता बढ़ेगी।
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