नई दिल्ली, 28 अप्रैल। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में कर की दरें तय करते समय किसी तरह का ‘हैरान’ करने वाला फैसला नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर दरें मौजूदा स्तर से ‘उल्लेखनीय रूप से अलग’ नहीं होंगी।
जेटली ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “जीएसटी के संचालन के लिए सभी नियम और नियमन तैयार हो गए हैं। अब हम विभिन्न जिंसों के लिए दरें तय करने के अंतिम चरण में हैं।”
वित्त मंत्री ने कहा, “यह कार्य जिस फार्मूला के तहत किया जा रहा है उसके बारे में भी बताया जा चुका है। ऐसे में किसी को हैरान होने की जरूरत नहीं होगी। यह मौजूदा से बहुत अलग नहीं होगा।”
अरुण जेटली ने यह भी कहा, “हम वैश्वीकरण के दौर में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। यदि हम तीन साल लगातार विश्व की सबसे तेज गति से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएं तो हम विश्व के अग्रणी देशों में से एक होंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम अपने विनिर्माण में सुधार कर सकते हैं?”
विनिर्माण क्षेत्र जीडीपी का 15-16 फीसदी रह गया है। सरकार विभिन्न उपायों के जरिए इसकी हिस्सेदारी बढ़कार लगभग 25 फीसदी करने की कोशिश कर रही है।
जेटली ने कहा कि विदेशी निवेश के संदर्भ में भारत को वैश्वीकरण से लाभ मिला है, विशेष रूप से ऐसे समय में जबकि निजी घरेलू निवेश में कमी आई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 18 फीसदी बढ़कर 46.4 अरब डॉलर रहा है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय शेयरों और बांड में निवेश मार्च में 15 वर्षो के उच्चतम स्तर पर रहा है। मार्च में विदेशी निवेशकों ने 8.84 अरब डॉलर के भारतीय शेयर और बांड खरीदे।
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