रियो डी जनेरियो, 20 अगस्त | भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके मार्गदर्शन में देश को लगातार ओलम्पिक खेलों में दो पदक हासिल हुए हैं। लंदन ओलम्पिक- 2012 में सानिया नेहवाल ने गोपीचंद के नेतृत्व में ही कांस्य पदक जीता था। इस बार रियो ओलम्पिक में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिधु ने रजत पदक जीता है।
रियोसेंटर पवेलियन-4 में खेले गए मुकाबले में विश्व की सर्वोच्च वरीयता प्राप्त महिला खिलाड़ी मारिन ने सिंधु को 19-21, 21-12, 21-15 से मात देकर स्वर्ण पदक हासिल किया।
मैच के बाद यहां गोपीचंद ने संवाददाताओं को बताया, “यह जीवन में एक बार, लाखों में एक बार और हमारे लिए अरबों समय में एक बार है कि हमें एक दिन पोडियम में खड़े हो पदक पहनने का मौका मिला। मेरे लिए यह सफर का एक हिस्सा है।”
गोपीचंद ने कहा, “मैं काफी खुश और भगवान का काफी आभारी हूं। साथ ही उन लोगों का आभारी भी हूं, जो इस दौरान हमारे साथ रहे और हमारा समर्थन करते रहे।”
सिंधु के मैच हारने पर गोपीचंद ने उन्हें निराश न होने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “मुकाबले के तुरंत बाद मैंने उन्हें कहा कि यह मत सोचना कि वह हारी हैं, बल्कि यह सोचो कि हमने पदक जीता है। मैंने सिंधु को यह इसलिए कहा ताकि वह पिछले एक हफ्ते में किए गए अपने प्रयास को न भूलें।”
गोपीचंद ने कहा, “उन्होंने जिस प्रकार का प्रयास किया, उससे हम सब गौरवांन्वित हैं। हम खुश हैं और मैं चाहता हूं कि वह भी ऐसा ही महसूस करें।”
सिंधु से पहले सानिया पहली ऐसी भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत के लिए पदक जीता।
सिंधु का यह पहला ओलम्पिक था और उन्होंने अपने पहले ओलम्पिक में इतिहास रच दिया। वह फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। साथ ही बैडमिंटन में भारत को रजत पदक दिलाने वाली भी पहली खिलाड़ी हैं। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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