पराली जलाए (stubble burning) जाने से दिल्ली में उत्पन्न वायु प्रदूषण (air pollution ) की समस्या से निपटने के लिए पांच राज्यों की एक उच्चस्तरीय बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने 07 अक्तूबर, 2019 को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पराली जलाए (stubble burning) जाने को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने लगभग 1,150 करोड़ रुपये की लागत से पंजाब और हरियाणा के किसानों को 20,000 से भी अधिक मशीनें मुहैया कराई हैं।
उन्होंने कहा कि वायु में मौजूद द्रव्य एवं ठोस सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी के साथ-साथ बीएस III मानकों की तुलना में बीएस IV भारी डीजल वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में भी 30 प्रतिशत की कमी आई है।
जावड़ेकर ने कहा कि बीएस VI ईंधनों को अपनाने पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
उन्होंने कहा,’भारत अप्रैल 2020 से बीएस IV मानकों के बजाय बीएस VI वाहन उत्सर्जन (BS VI vehicular emission) मानकों को अपनाने लगेगा। बीएस VI मानकों वाला पेट्रोल/डीजल पहले से ही दिल्ली-एनसीआर में उपलब्ध है।’
प्रदूषण (pollution 0 नियंत्रण के लिए किये गये विभिन्न प्रयासों को रेखांकित करते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘आज से ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 46 दल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर का जायजा ले रहे हैं और वे आवश्यकता पड़ने पर समुचित कदम उठाएंगे।’
जावड़ेकर ने प्रदूषण (pollution ) नियंत्रण के लिए सभी राज्यों से मिल-जुलकर काम करने का आह्वान किया। यह जानकारी दी गई कि अकेले दिल्ली को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से 52 मेगावाट ऊर्जा मिलती है और अपशिष्ट कम्पोस्ट संयंत्र चालू है।
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