नई दिल्ली, 28 जुलाई (जस)। भारतीय रेल हाई स्पीड रेल गाड़ी, सेमी-हाई स्पीड रेल गाड़ी, मौजूदा गाड़ियों की गति बढ़ाने और तेज गति की गाड़ियां चलाने के संबंध में बहु-कोणीय रणनीति पर काम कर रही है। इसी संदर्भ में मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड गलियारे के लिए जापान के वित्तीय और तकनीकी सहयोग से एक हाई स्पीड रेल गाड़ी को स्वीकृति दे दी गई है। यह गाड़ी जापानी शिनकानसेन हाई स्पीड प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए ‘नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड’ नामक एक कंपनी बनायी गई है। इस परियोजना का कार्यान्वयन हो रहा है और वर्ष 2023-24 में इसे चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस तरह की हाई स्पीड रेल गाड़ी को आमतौर पर बुलेट ट्रेन के रूप में जाना जाता है और इसका अध्ययन जेआईसीए द्वारा किया जा चुका है। परियोजना के लिए जापान सरकार ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इस सहायता के तहत परियोजना लागत का 81 प्रतिशत जापान सरकार ऋण प्रदान करेगी, जिस पर 0.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से मामूली ब्याज देय होगा। इस ऋण को 50 वर्षों में चुकाया जाना है। चुकाने की प्रक्रिया 15 वर्षों के बाद शुरू होगी।
मौजूदा नई दिल्ली–मुम्बई गलियारे के संबंध में यात्रा समय बचाने के उद्देश्य से भारतीय रेल स्पेनी टेलगो कोचों के इस्तेमाल पर परिक्षण कर रही है। ये तेज रफ्तार की गाड़ियां होंगी जो लगभग 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलेंगी।
भारतीय रेल बिजली से चलने वाली आधुनिक ईएमयू गाड़ियों को प्राप्त करने के प्रस्ताव पर भी काम कर रही है, जिनकी बेहतर औसत रफ्तार से यात्रा समय में काफी कमी आ जाएगी।
भारतीय रेल की मौजूदा गाड़ियों की गति बढ़ाने के संबंध में रेल बजट 2016-17 में मिशन रफ्तार की घोषणा की गई थी। इस मिशन के तहत अगले पांच सालों में माल गाड़ियों की औसत रफ्तार को दोगुना करने और गैर-शहरी पैसेंजर गाड़ियों की औसत रफ्तार में 25 किलोमीटर प्रतिघंटा तक का इजाफा करने का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि इस समय गैर-शहरी पैसेंजर गाड़ियों की औसत रफ्तार 46.3 किलोमीटर प्रतिघंटा और माल गाड़ियों की औसत रफ्तार 24.2 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसके क्रियान्वयन के लिए रेलवे बोर्ड में एक बहु-उद्देशीय मिशन निदेशालय गठित किया गया है।
गाड़ियों की औसत रफ्तार बढ़ाने और उनकी गतिशीलता में सुधार के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इसमें गति बाध्यताओं को दूर करना, पुलों के ऊपर (आरओबी) और पुलों के नीचे (आरयूबी) सड़क बनाना, गाड़ियों की सही शक्ति, वैगनों में ट्विन-पाइप ब्रेक प्रणाली लगाना, गाड़ियों की पारंपरिक लोको प्रणाली की जगह मेन लाइन इलेक्ट्रीक मल्टीपल यूनिट (एमईएमयू) और डीजल इलेक्ट्रीक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) की शुरूआत करना शामिल है।
फोटो: 6 जुलाई 2016 को मथुरा रेलवे स्टेशन पर हाईस्पीड टाल्गो ट्रेन के डिब्बे ट्रायल के दौरान। (आईएएनएस)
Follow @JansamacharNews