शिमला, 22 जून (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट द्वारा करवाए गए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर आंका गया है और प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में केरल को पछाड़कर अव्वल स्थान का पुरस्कार प्राप्त किया है। सरकारी स्कूलों की उपलब्धि 65.3 प्रतिशत है, जबकि भाषा व गणित में 47.4 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 41.6 प्रतिशत की तुलना में 21.1 फीसदी अधिक है।
गुरूवार को सोलन जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ममलीग के शताब्दी समारोह की अध्यक्षता करते हुए वीरभद्र ने कहा कि अनुशासन न केवल शिक्षण संस्थानों, बल्कि परिवार, समाज अथवा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जरूरी है।
वीरभद्र ने कहा कि शिक्षा सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। यह बच्चों को उनके जीवन की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने का मार्ग है। उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत से बच्चों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध नहीं होती है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में साढ़े 15 हजार पाठशालाएं बच्चों की शैक्षणिक जरूरतें बेहतर ढंग से पूरा कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 126 महाविद्यालय युवाओं की उच्च शिक्षा की जरूरतें पूरी कर रहे हैं और प्रदेश सरकार ने वर्तमान कार्यकाल में प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में 47 नए महाविद्यालय खोले हैं, जहां लड़कियां की संख्या लड़कों से अधिक है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की अध्ययन क्षमता बढ़ाने के लिए ‘प्रेरणा प्लस योजना’ आरम्भ की है जबकि छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की विज्ञान व गणित सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए ‘प्रयास प्लस योजना’ आरम्भ की है।
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