शिमला, 22 अगस्त | हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया। यह विधेयक पिछले महीने संसद में पारित हुआ था। इस विधेयक को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विधानसभा के पांच दिवसीय मॉनसून सत्र के पहले दिन पेश किया।
यह सदन में महज पांच मिनट में ही बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। इसे सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों का भी साथ मिला और सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया।
सत्ताधारी कांग्रेस ने पहले से ही इस कानून को समर्थन देने की घोषणा की थी। संविधान संशोधन विधेयक सदन में रखे जाने के ठीक पहले भाजपा सदस्यों ने उनके खिलाफ मुख्यमंत्री की कथित टिप्पणी के विरोध में सदन से बर्हिगमन किया।
वे मीडिया के एक वर्ग में छपी इस टिप्पणी के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की मांग कर रहे थे।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जैसे ही जीएसटी संशोधन विधेयक को सदन में पेश किया, भाजपा सदस्य वापस सदन में लौट आए।
इस विधेयक को पारित करनेवाला हिमाचल प्रदेश चौथा राज्य है। इससे पहले असम, बिहार और झारखंड में यह विधेयक पारित हो चुका है।
वीरभद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी विधेयक को पहले कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार ने केंद्र में लाया था।
उन्होंने कहा, “वर्तमान भाजपा सरकार उसी जीएसटी विधेयक को लेकर आई है, जिसे पहले हमारी सरकार लेकर आई थी।”
उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक देश का सबसे बड़ा कर सुधार है, जो देशभर में व्यापार और वाणिज्य की सुविधा प्रदान करेगा।
68 सदस्यीय सदन में कांग्रेस को 36 सदस्यों के साथ बहुमत प्राप्त है। भाजपा के 28 सदस्य हैं। चार स्वतंत्र सदस्य हैं, जो अब कांग्रेस के साथ हैं। –आईएएनएस
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