नई दिल्ली, 23 अगस्त । संगीतकार सचिन संघवी और जिगर सरैया की जोड़ी का कहना है कि एक समय हुआ करता था, जब गीतकार कुछ खास शब्दों, संवेदनाओं एवं भावनाओं को व्यक्त करने में शर्माते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
सचिन ने आईएएनएस से ईमेल द्वारा हुई साक्षात्कार में बताया कि पहले गीतकार गानों के जरिए कोई फूहड़ बात नहीं कह सकते थे, क्योंकि उनमें बहुत ज्यादा शर्मीलापन था।
उनके अनुसार, हिंदी फिल्म संगीत को बोल और संगीत दोनों में अब ज्यादा ईमानदार और शरारती बनना सीखना होगा।
‘गो गोआ गॉन’, ‘हीरो’ ‘बदलापुर’ और ‘फाइंडिंग फैनी’ में संगीत दे चुका इस जोड़े की आने वाली फिल्म ‘ए फ्लाइंग जट’ है।
जिगर ने आईएएनएस को बताया, “हमें नहीं लगता कि हम एक गाने, धुन या राग की बदौलत स्टेज पर लंबे समय तक टिक सकते हैं। गहराई खत्म होती मालूम पड़ती है। मनोरंजन के लिए बहुत कुछ मिल रहा है। हमें इस बात पर आश्चर्य होता है कि गाना सुनने वाले इतनी सारी विकल्पों में से अपने पसंदीदा को कैसे चुनते हैं।”
‘मेरे नाल’, ‘पिया केसरियो’ ‘गुलाबो’ जैसी गुनगुनाने वाली गीत देने वाले जिगर का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्दोग कुछ नया ढ़ूढ़ रहा है।
सचिन का कहना है, “जहां एक ओर पाकिस्तानी कलाकार पुरानी मूल कविताओं, सूफी संकल्पनाओं की प्रशंसा करते हैं, वहीं भारत में हमारे कानों को पश्चिमी और बॉलीवुड के गाने सुनने की आदत पड़ गई है।”
उनका कहना है कि लोक संगीत के जरिए मूल संगीत से जुड़ा जा सकता है। –आईएएनएस
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