नई दिल्ली, 6 नवंबर | अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का दिन करीब आ पहुंचा है, और मैदान में मौजूद दोनों उम्मीदवारों के बीच जन समर्थन का फासला भी घट चला है। इस बार के चुनाव की खासियत यह है कि दोनों प्रतिद्वंद्वी समाज की आधी-आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यानी एक उम्मीदवार पुरुष, तो दूसरी महिला। रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप, तो डेमोकट्रिक पार्टी से हिलेरी क्लिंटन।
ट्रंप की छवि महिला विरोधी, मुस्लिम विरोधी, आप्रवासी विरोधी की है, जबकि हिलेरी की ऐसी कोई विरोधी छवि नहीं है। तो क्या हिलेरी को आधी आबादी और अन्य का समर्थन मिल रहा है? लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह भी कि सर्वेक्षण अब मुकाबला कांटे का बता रहे हैं? बहरहाल, सबकी नजरें आठ नवंबर के मतदान पर टिकी हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के अनुसार, हिलेरी को महिला होने का लाभ मिलेगा। नैयर ने आईएएनएस से कहा, “हिलेरी को महिला होने का फायदा मिलने जा रहा है। वह जीतकर इतिहास रचने वाली हैं और अमेरिकी नागरिक इसका हिस्सा बनना चाहते हैं।” नैयर हालांकि यह भी कहते हैं कि अमेरिका में ट्रंप की मुंहफट और बेबाक छवि के भी कम कायल नहीं हैं।
रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति उम्मीदवार की दावेदारी के समय से ही ट्रंप विवादों में हैं। महिलाओं, मुसलमानों और शरणार्थियों पर उनके विवादास्पद बयान चर्चा में रहे हैं। उम्मीदवारी पक्की हो जाने के बाद विवादों का सिलसिला और बढ़ा। उनकी छवि यौन उत्पीड़क, मुंहफट, महिला एवं मुस्लिम विरोधी के रूप में बनती चली गई।
जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय में वुमेन स्टडीज एंड पॉलिटिकल थॉट्स की प्रोफेसर निवेदिता मेनन हिलेरी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। वह कहती हैं, “हिलेरी को महिला होने का तो फायदा मिलेगा ही, और ट्रंप जैसे प्रतिद्वंद्वी के कारण तो जैसे उनकी जीत पर मुहर लग जाती है। ट्रंप से हिलेरी क्या, कोई भी जीत जाएगा।”
राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने चुनाव अभियान की शुरुआत से ही खुद को महिला हितैषी और अमेरिका की उद्धारक के रूप में पेश किया है। लेकिन हिलेरी की छवि कहां से बिगड़नी शुरू हुई? दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर सुरेंद्र वाधवा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “ट्रंप को नीचा दिखाने में हिलेरी इतना मशगूल हो गईं कि वह खुद भूल गईं कि उनका अतीत भी विवादों से भरा हुआ है। ईमेल स्कैंडल और पूर्व राष्ट्रपति एवं पति बिल क्लिंटन के यौन स्कैंडल के काले साये ने उनका खेल ही बिगाड़ दिया।”
अमेरिका में इस बार का राष्ट्रपति चुनाव अभियान अप्रत्याशित रहा है। अब तक के जितने भी सर्वेक्षण हुए हैं, सभी में हिलेरी की ट्रंप पर बढ़त रही। वाशिंगटन पोस्ट/एबीसी सर्वेक्षण में हिलरी ने एक बार फिर ट्रंप पर तीन अंकों की बढ़त बना ली। हिलेरी को 47 फीसदी, जबकि ट्रंप को 44 फीसदी वोट मिले हैं। लेकिन इससे पहले सोमवार को जारी सर्वेक्षण में ट्रंप ने पहली बार हिलेरी पर एक अंक से बढ़त बना ली थी।
विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि इससे कोई खास अंतर नहीं पड़ता है, जबकि एक धड़ा यह भी कह रहा है कि इस बार के चुनाव में एक-दो फीसदी का अंतर भी नतीजों पर असर डाल सकता है। सर्वेक्षण बताते हैं कि हिलेरी के ईमेल विवाद की एफबीआई जांच और ट्रंप की बेबाकी हिलेरी पर भारी पड़ सकती है। उन पर वॉल स्ट्रीट के हाथों बिकने के भी आरोप लगते रहे हैं।
मेनन आईएएनएस से कहती हैं, “हिलेरी के पास 30 वर्षो का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन वह वॉल स्ट्रीट के हाथों बिकी हुई हैं और इस तरह वह महिलाओं के लिए रोल मॉडल कतई नहीं हो सकतीं। उनमें महिलाओं का आदर्श बनने लायक गुण नहीं हैं।”
पिउ रिसर्च की सितंबर में जारी रपट के मुताबिक, अमेरिका में कई ईसाई धर्म प्रचारक हिलेरी की तुलना में ट्रंप को इसलिए तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि वह क्लिंटन नहीं हैं। मसलन क्लिंटन को बेईमानी का पर्याय माना जा रहा है।
सर्वेक्षणों के मुताबिक, अमेरिका में रह रहे हिंदुओं का रुझान ट्रंप की ओर है, जबकि मुसलमानों की पहली पसंद हिलेरी बनी हुई हैं। ट्रंप बड़बोले हैं, मुंहफट हैं, 11 महिलाओं द्वारा उन पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए जाने से उनकी छवि धूमिल हुई है, लेकिन क्या हिलेरी पाक-साफ हैं?
नैयर कहते हैं, “यकीनन, हिलेरी को महिला होने का फायदा मिलेगा, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि दोनों में से जीत किसकी होगी। क्योंकि दोनों में जीत का अंतर बहुत ही कम नजर आ रहा है। ट्रंप एक सर्वेक्षण में हिलेरी पर एक फीसदी की बढ़त बना चुके हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
वह ट्रंप के बारे में कहते हैं, “लेकिन ट्रंप का जीतना एक डिजास्टर होगा, सिर्फ अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए। उनके मुकाबले हिलेरी का जीतना सही है।”
अमेरिका में चुनाव के नतीजों का भारत पर क्या असर पड़ेगा? जामिया मिलिया इस्लामिया में राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर ओबेद सिद्दीकी ने आईएएनएस से कहा, “चाहे हिलेरी जीतें या ट्रंप, किसी की भी जीत से भारत को कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला। क्योंकि भारत को लेकर अमेरिकी नीति में कोई खास बदलाव नहीं होगा। हिलेरी व्हाइट हाउस पहुंचने वाली हैं, इसमें कोई शक नहीं।”
रीतू तोमर ===
(फाइल फोटो)
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