नई दिल्ली, 25 जुलाई। वायु सेना प्रमुख (Chief of the Air Staff) , एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauria) ने कहा कि तेजी के साथ बदलती हुई दुनिया में, उभरते हुए खतरों के प्रकृति की पहचान करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने अपने पूरे क्षेत्र में संभावित सुरक्षात्मक खतरों से निपटने के लिए, सैन्य तैयारियों और रणनीतियों पर चर्चाओं और समीक्षाओं के बाद अपना तीन-दिवसीय वायुसेना कमांडर सम्मेलन (एएफसीसी) संपन्न किया।
अपने समापन भाषण में वायुसेना प्रमुख ने विजन 2030 को आगामी दशक में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के रूपांतरण के लिए मील के पत्थर के रूप में व्यक्त किया।
उन्होंने तेजी से क्षमता निर्माण, सभी परिसंपत्तियों की सेवा में वृद्धि और कम से कम समय-सीमा के अंतर्गत नई तकनीकों के प्रभावी एकीकरण की दिशा में समर्पित रूप से कार्य करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उनके द्वारा, वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई और भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के संदर्भ में अगले दशक में होने वाले परिवर्तनकारी रोडमैप के लिए विस्तृत रूप से समीक्षा की गई।
वायु सेनाध्यक्ष ने सभी कमांडरों के साथ-साथ वायुसेना मुख्यालय की विभिन्न शाखाओं से संबंधित स्थितियों और मुद्दों की समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, चिरस्थायी क्षमता का निर्माण करने, उम्दा तकनीकों का अधिग्रहण करने, रोजगार का सृजन करने और स्वदेशी प्लेटफार्मों और हथियारों का विकास करना अनिवार्य है।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि चूंकि मानव संसाधन, भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की सबसे बहुमूल्य संपत्ति है इसलिए भर्ती, प्रशिक्षण और प्रेरणादायक रणनीतियों को बदलते हुए समय के साथ तालमेल रखना चाहिए।
संयुक्त और एकीकृत रूप से युद्ध लड़ने के विषय पर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, नौ सेना प्रमुख (सीएनएस) एडमिरल करमबीर सिंह और थल सेना प्रमुख (सीओएएस), जनरल एमएम नरवणे ने इस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और कमांडरों के साथ-साथ वायुसेना के मुख्य अधिकारियों के साथ बातचीत की।
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