देश में रोजगार की कमी हुई तो अशांति व हताशा बढ़ेगी : मुखर्जी

छिंदवाड़ा , 15 दिसंबर | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आने वाले वर्षों की देश की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए बुधवार को कहा कि युवाओं के पास नौकरी होगी तो वे हमारी परिसंपत्ति होंगे, लेकिन देश रोजगार उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा तो उनमें अशांति व हताशा उत्पन्न होगी। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बुधवार को सीआईआई कौशल प्रशिक्षण केन्द्र के वार्षिक दिवस समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, “दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में भारत को आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। आधी आबादी की उम्र 25 वर्ष से कम रहेगी। हमारे युवाओं के पास यदि नौकरी होगी तो वे हमारी परिसंपत्ति होंगे। लेकिन, अगर देश रोजगार उपलब्ध कराने में असमर्थ रहता है तो इससे अशांति, और हताशा उत्पन्न होगी।”

राष्ट्रपति ने कहा कि रोजगार पाने के लिए कागजी योग्यता ही पर्याप्त नहीं होगी, इसके लिए कौशल आवश्यक है। हमारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से हर साल बड़ी संख्या में स्नातक निकलते हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर बेरोजगार रहते हैं। हमारे युवाओं को रोजगार की जरूरत है। दूसरी तरफ, हमारे उद्योगों को पर्याप्त कुशल जनशक्ति खोजने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में अधिकतर आबादी अधिक उम्र वाली है। भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं तीव्र आर्थिक विकास की साक्षी रही हैं। इसलिए हमें हर संभव तरीके से कौशल विकास को बढ़ावा देकर इस अवसर को प्रयोग में लाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए 2010 में राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद का गठन किया गया था। बड़े पैमाने पर कौशल विकास की जरूरत पर विशेष ध्यान देते हुए वर्तमान सरकार ने 2014 में कौशल विकास के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया।

उन्होंने छिंदवाड़ा जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना के लिए सीआईआई और स्थानीय सांसद कमलनाथ को उनकी दूरदर्शिता के लिए बधाई दी और केन्द्र की सफलता की कामना की।

राज्यपाल ओ. पी. कोहली और क्षेत्रीय सांसद कमलनाथ ने हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति की अगवानी की।