गैर कानूनी वन्यजीव व्यापार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है, जिसके परिणामस्वरूप सीमा पार घुसपैठ होती हैं तथा काले धन को वैध बनाना, हथियारों, दवाओं और मानव तस्करी को बढ़ावा मिलता हैं।
अवैध वन्यजीव व्यापार एक उच्चस्तरीय संगठित और परिष्कृत आपराधिक गतिविधि है जो एक उद्योग के रूप में हो रहा है।
अवैध वन्यजीव व्यापार अब एक जरूरी वैश्विक मुद्दा बन गया है। यह कई संरक्षित प्रजातियों की आबादी में गिरावट में योगदान देता है। इनमें सभी महाद्वीपों में हाथियों, राइनो, भूरे तोतों और पैंगोलिन से स्टर्जन और रोसवुड के साथ ही साथ लुप्तप्राय प्रजातियों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
फोटो : सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रिंस विलियम। यूट्यूब से साभार
ये चिन्ताएं अवैध वन्यजीव व्यापार पर लंदन में 11-12 अक्टूबर को सम्पन्न सम्मेलन के घोषणा पत्र में व्यक्त की गई हैं। इसका आयोजन ब्रिटिश सरकार ने किया था।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि वन्यजीव अवैध व्यापार कई प्रजातियों पर गंभीर रूप से प्रभाव डाल रहा है जो पहले ही विलुप्त होने की कगार पर हैं। साथ ही अन्य प्रजातियों को लुप्तप्राय होने का खतरा दिखाई दे रहा है।
वन्यजीव अवैध व्यापार भ्रष्टाचार को ईंधन देता है जो असुरक्षा पैदा करता है और कानून के शासन को कम करता है तथा आर्थिक विकास के अवसरों में बाधा डालता है।
अवैध वन्यजीव व्यापार और वन्यजीव क्राइम से निपटने के लिए 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
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