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भारत में 18 % खेतिहर परिवारों का नेतृत्व करती हैं महिलाएं

नई दिल्ली, 31 अगस्त  (जनसमा)|   एनएसएसओ (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय) रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 18 प्रतिशत खेतिहर परिवारों का नेतृत्व महिलाएं ही करती हैं। कृषि का कोई कार्य ऐसा नहीं है जिसमें महिलाओं की भागीदारी न हो।

  • भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं का सबसे अधिक योगदान है। आर्थिक रूप से सक्रिय 80 प्रतिशत महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। इनमें से 33 प्रतिशत मजदूरों के रूप में और 48 प्रतिशत स्व-नियोजित किसानों के रूप में कार्य कर रही हैं।
  • बतौर श्रमिक उन्हें पुरुषों की अपेक्षा मिलने वाली कम दरों तथा पुरुषों की अपेक्षा अधिक समय तक काम करने जैसी कई असमानताओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही अपने अधिकारों, अवसरों और सुविधाओं की अनभिज्ञता उनकी कृषि में भागीदारी को और जटिल कर देती है।
  • महिलाएं कृषि में बहुआयामी भूमिकाएं निभाती हैं जहाँ बुवाई से लेकर रोपण, निकाई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, निराई, भंडारण आदि सभी प्रक्रियाओं से वो जुडी हुई हैं, वहीँ घर गृहस्थी के काम जैसे कि खाना पकाना, जल संग्रहण, ईंधन लकड़ी का संग्रहण, घरेलू रख-रखाव आदि के कार्य भी उन्ही के क्षेत्र में आते हैं।
  • महिलाएं कृषि से सम्बंधित अन्य धंधो जैसे, मवेशी प्रबंधन, चारे का संग्रह, दुग्ध और कृषि से जुडी सहायक गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरुम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन इत्यादि में भी पूरी तरह सक्रिय रहती हैं।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, राधा मोहन सिंह ने यह तथ्य और सच्चाई बुद्धवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित “महिला किसानों के अधिकारों की सुरक्षा- कार्रवाई के लिए एक रोडमैप की तैयारी” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कही।

सिंह ने कहा कि विभिन्न प्रमुख योजनाओं, कार्यक्रमों और विकास संबंधी गतिविधियों के अंतर्गत महिलाओं के लिए कम से कम 30% धनराशि का आबंटन किया जाएगा, विभिन्न लाभार्थी-उन्मुखी कार्यक्रमों/योजनाओं और मिशनों के घटकों का लाभ महिलाओं तक पहुचाने के लिए महिला समर्थित गतिविधियां शुरु करना; तथा महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के गठन पर ध्यान केंद्रित करना ताकि क्षमता निर्माण जैसी गतिविधियों के माध्यम से उन्हें माइक्रो क्रेडिट से जोडा जा सके और सूचनाओं तक उनकी पहुंच बढ़ सके एवं साथ ही विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने निकायों में उनका प्रतिनिधित्व हो।

जनसमाचार की टिप्पणी :  कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री की बातें भारतीय कृषि का आईना है किन्तु कृषि मंत्री महिलाओं के उत्थान और  आर्थिक लाभ का रोडमेप क्या होगा, यह स्पष्ट नहीं बता सके। काश कि वे कुछ साफ बातें कहते जिससे कृषक महिलाओं को लाभ मिलता और वह सक्षम होने की दिशा में आगे बढती।