इस्लामाबाद, 7 सितम्बर | पाकिस्तान में 80 फीसदी से अधिक लोग दूषित और असुरक्षित पानी का इस्तेमाल करते हैं।
‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री राणा तनवीर ने मंगलवार को सीनेट को बताया कि पाकिस्तान जल संसाधन अनुसंधान परिषद (पीसीआरडब्ल्यूआर) ने देश में पानी की गुणवत्ता से जुड़ी परियोजनाओं का अध्ययन किया और पाया देश के 80 प्रशित से अधिक लोग दूषित व असुरक्षित पानी का इस्तेमाल करते हैं।
अध्ययन के लिए 24 जिलों के 2,807 गांवों से पानी के नमूने लिए गए, जिनमें 69 से 82 फासदी नमूने असुरक्षित व दूषित पाए गए।
तनवीर ने कहा कि इस रिपोर्ट में दूषित पानी की प्रमुख वजहें बैक्टीरिया (कॉलीफार्म्स), विषाक्त धातु (खासकर आर्सेनिक), मैलापन, पानी में पूरी तरह घुल जाने वाले ठोस अवयव, नाइट्रेट और फ्लोराइड प्रदूषण आदि हैं।
देश भर में 24 अत्याधुनिक जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के अलावा कई अन्य पहल भी की गई, जिनमें सूक्ष्म जीवाणु के परीक्षण से संबंधित किट, कम लागत का आर्सेनिक परीक्षण किट, क्लोरीनीकरण और कीटाणुशोधन गोलियों का निर्माण शामिल है।
पीसीआरडब्ल्यूआर के मुताबिक, सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रदूषण से हैजा, दस्त, पेचिश, हेपेटाइटिस व टाइफाइड जैसे रोग होते हैं। आर्सेनिक प्रदूषण से मधुमेह, त्वचा, गुर्दा, हृदय, पैर काला पड़ जाना, उच्च रक्तचाप, जन्मदोष और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
परिषद के अधिकारी ने बताया कि धन की कमी के कारण प्रयोगशाला अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं।
ये प्रयोगशालाएं दूषित पानी की पहचान करने व नागरिकों को पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 1.2 अरब पाकिस्तानी रुपये की लागत से स्थापित की गई हैं। –आईएएनएस
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