नई दिल्ली, 17 दिसंबर| जानीमानी फैशन डिजाइनर मधु जैन का कहना है कि भारतीय डिजाइन बिरादरी और उपभोक्ताओं को ‘स्वदेशी’ होने का महत्व समझना चाहिए, इस संकल्पना को महात्मा गांधी ने प्रचारित किया था।
जैन ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “मैं स्वदेशी सोच रखती हूं। मेरे दादा स्वतंत्रता सेनानी थे। मेरे सोचने का तरीका अलग है और मैं बहुत राष्ट्रवादी हूं। मुझे लगता है कि अपनी राष्ट्रीय वेशभूषा को बनाए रखने और विलुप्त होने से बचाए रखने के लिए इसका समर्थन करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि साड़ी के साथ जो हुआ वह सलवार-कमीज के साथ नहीं होना चाहिए। युवतियों ने ज्यादा साड़ी पहनना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
जैन पारंपरिक बुनाई को तरीकों को बहाल करने की पैरवी करती हैं। उनका मानना है कि फैशन एक बहुत शक्तिशाली मंच है। फैशन उद्योग में उन्होंेने खादी चोगा के साथ कलमकारी, कांथा और इकत जैसे प्रयोग किए हैं।
जैन कहती हैं कि इंदिरा गांधी अपनी साड़ियों के लिए जानी जाती थीं और आज के दौर में उन्हें कांजीवरम साड़ियों में सजी अभिनेत्री रेखा भाती हैं।
डिजाइनर कहती हैं कि कई देशों में लोग अपनी संस्कृति का संरक्षण करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन भारत में अब यह नजर नहीं आ रहा। गांधीजी ने स्वदेशी के संरक्षण के लिए लड़ाई लड़ी थी।
डिजाइनर का मानना है कि फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) से जब से सुनील सेठी जुड़े हैं, तब से हथकरघा को काफी हद तक बढ़ावा मिला है।
डिजाइनर को लगता है कि भारतीय फैशन की मजबूती व पहचान इसके वस्त्रों में हैं। जैन कहती हैं कि वह बुनकरों के साथ काम करती हैं, जबकि 90 फीसदी डिजाइनर बाजार पहले से उपलब्ध मैटेरियल से अपने परिधान तैयार करते हैं।
वह इस उद्योग में पिछले 30 सालों से हैं और अगले साल पर्यावरण के अनुकूल परिधान संग्रह पेश करने वाली हैं।
डिजाइनर कहती हैं कि उन्होंेने अपने बलबूते अपना मुकाम बनाया है। वह अपनी पहचान से खुश हैं। –आईएएनएस
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