आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में पिछले चार वित्तीय वर्षों में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2013-14 में यह संख्या 3.79 करोड़ थी जो 2017-18 में 6.85 करोड़ हो गई है।
पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
सोमवार को सीबीडीटी द्वारा जारी किए गए प्रत्यक्ष कर आंकड़ों के मुताबिक देश में करोड़पतियों की संख्या में चार वर्षों में 60 फीसदीकी बढ़ोतरी हुई है।
ये वह करदाता हैं जिनकरी आय साल में एक करोड़ रुपए से अधिक है। वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में इनकी संख्या 3.31 करोड़ थी।
पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर- जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98 प्रतिशत का प्रत्यक्ष कर- जीडीपी अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ रहा है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में 5.98 प्रतिशत का अनुपात पिछले 10 वर्षों में सबसे अच्छा प्रत्यक्ष कर जीडीपी अनुपात है।
आंकड़ों के मुताबिक, कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा भुगतान किया गया औसत कर 2014-15 में 32.28 लाख रुपये से बढ़कर 2017-18 में 49.9 5 लाख रुपये हो गया है।
इस अवधि में व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा भुगतान किए गए औसत कर में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014-15 से 2017-18 तक तीन साल की अवधि के दौरान, वेतनभोगी करदाताओं की संख्या 2014-15 में 1.70 करोड़ से बढ़कर 2017-18 में 2.33 करोड़ हो गई है।
वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित औसत आय इस अवधि में 5.76 लाख रुपये से 6.84 लाख रुपये तक 19 प्रतिशत बढ़ी है।
इसी अवधि के दौरान, गैर-वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या में 1.95 करोड़ से 2.33 करोड़ की वृद्धि में 1 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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