तीस हजारी कोर्ट ने आयकर टीडीएस के डिफॉल्ट मामले में दिल्ली स्थित एक रियल एस्टेट तथा आईटी कंपनी के निदेशक को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया है।
जांच के दौरान ऐसा पाया गया कि कंपनी ने टीडीएस तो काट लिया था लेकिन लेकिन उसे सरकारी खाते में जमा नहीं कराया था जबकि आय कर अधिनियम के अनुसार ऐसा करना एक वैधानिक उत्तरादायित्व है। इससे कई निर्दोष लोगों का उत्पीड़न हुआ जिनका टीडीएस तो काट लिया गया था लेकिन रियल एस्टेट कंपनी द्वारा काटे गए उस टीडीएस को सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया था।
ऐसा पाया गया कि वित वर्ष 2013-14, वित वर्ष 2014-15 एवं वित वर्ष 2015-16 में क्रमशः 45,68,990 रुपये, 35,45,290 रुपये एवं 33,36,970 रुपये एसेसी कंपनी द्वारा काटे गए थे। ऐसा पाया गया कि एसेसी कंपनी ने टीडीएस रिटर्न विवरणी फाइल करने में डिफॉल्ट किया था।
सभी गलतियों को ध्यान में रखते हुए, निदेशक को कारण बताओ नोटिस भेजे गए। लेकिन कार्यवाही के दौरान एसेसी ने कोई तर्कसंगत जवाब देने के बजाये कार्यवाही को देर करने की कोशिश की जिससे पाया गया कि टीडीएस को जमा करने में देरी के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।
कंपनी के निदेशक के खिलाफ दिसंबर 2017 में गैर जमानती वारंट जारी किए गए लेकिन निदेशक ने वारंटों के निष्पादन से भी बचने की कोशिश की। इसलिए, 19 जनवरी, 2018 को अभियुक्त को हिरासत में ले लिया गया तथा न्यायिक हिरासत के लिए रिमांड पर लिया गया। अभियुक्त को इसके लिए तिहार जेल भेज दिया गया।
आय कर के प्रधान मुख्य आयुक्त-दिल्ली ने एस एस राठौर ने कहा कि विभाग नियोक्ताओं द्वारा टीडीएस को समय पर जमा कराए जाने को लेकर काफी गंभीर है।
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