प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बन रहा है। इसमें सरदार पटेल का बहुत बड़ा रोल है।
गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में निर्मित एकता की प्रतिमा राष्ट्र को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा कि भावी पीढ़ियों को उस व्यक्ति के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी जिसने मां भारती को खंड-खंड टुकड़ों में करने की साजिश को नाकाम करने का पवित्र काम किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा ” जिस महापुरुष ने उन सभी आशंकाओं को हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया था, जो उस समय की दुनिया भविष्य के भारत के प्रति जता रही थी। ऐसे लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को में शत.शत नमन करता हूं।”
आजादी के बाद रियासतों के एकीकरण की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का सामर्थ्य काम आया था जब मां भारती 550 से ज्यादा रियासतों में बंटी पड़ी थी।भारत के भविष्य के प्रति निराशा के उस दौर में भी उम्मीद की एक किरण दिखती थी वह थे सरदार वल्लभ भाई पटेल।
मोदी ने कहा “सरदार वल्लभ भाई पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था।”
आजादी के बाद हुए राजाओं के सम्मेलन के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि 5 जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए सरदार साहब ने जो कहा था वह वाक्य आज भी उतना ही सार्थक है।
उन्होंने कहा था “विदेशी आक्रांता ओं के सामने हमारे आपसी झगड़े , आपसी दुश्मनी,बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी। हमें इस गलती को नहीं दोहराना हैऔर न किसी का गुलाम होना है।””
प्रधानमंत्री ने कहा “सरदार साहब के इसी एकीकरण के कारण राजे-रजवाड़ों ने अपने राज्यों का विलय कर दिया था। राजे-रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी और हमे यह कभी नहीं भूलना चाहिए उन्होंने अपने राज्य सौंप दिए थे।”
प्रधानमंत्री ने प्रतिमा को किसानों आदिवासियों के स्वाभिमान का प्रतीक भी बताया।
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