भारतीय सेना ने आत्म रक्षा और सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण तरीके से गलवान घाटी क्षेत्र (Galwan valley sector) में हॉवित्जर तोपखाना(howitzer artillery) छह टी-90 मिसाइल फायरिंग टैंक और टॉप-ऑफ-द लाइन शोल्डर एंटी टैंक तैनात कर दिए हैं।
विभिन्न समाचार माध्यमों के अनुसार भारत ने चीन के कुत्सित इरादों को भाँप कर अपनी जल,थल और वायु रक्षा प्रणालियों को चौकस और तैनात कर दिया है।
अंग्रेजी समाचार पत्र हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय सेना (Indian Army) ने गलवान घाटी क्षेत्र (Galwan valley sector) में छह टी -90 मिसाइल फायरिंग टैंक और टॉप-ऑफ-द-लाइन शोल्डर एंटी टैंक तैनात कर दिए हैं। इसके अलावा 155 मिमी हॉवित्जर के साथ इन्फैंट्री लड़ाकू वाहनों को पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में 1597 किमी लंबी एलएसी (Line of Actual Control) के साथ तैनात किया है।
हॉवित्जर एक प्रकार का तोपखाना है, जिसमें एक छोटी बैरल की विशेषता होती है।
File photo : Indian Air Force
भारत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी(Galwan valley) में चीन (China) द्वारा भारतीय सेना पर की गई हिंसक और बर्बर कार्रवाई के बाद भी चीन द्वारा निरंतर ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं कि भारत को अपनी अखण्डता और सुरक्षा के मद्देनज़र कोई अप्रत्याषित कदम उठाना पड़े तो कोई आश्चर्य नहीं।
यह कभी न भुलाये जा सकने वाला जख़्म है जब 15 जून को गलवान घाटी (Galwan valley) में मातृभूमि की रक्षा करते हुए बीस भारतीय सैनिक शहीद हो गए। यह उनके शौर्य का ही परिणाम था कि हमारे जवानों ने 43 चीनी सैनिकों को मार गिराया भलें ही चीन उसे स्वीकार न करे।
भारत ने संवेदनशील क्षेत्र गालवान घाटी में चीनी सेना द्वारा उठाये जाने वाले किसी भी आक्रामक कदम को रोकने के लिए भारत ने भारतीय सैन्य शस्त्रागार में वायु रक्षा हथियारों में स्वदेशी आकाश, इजरायली स्पाइडर और सोवियत मूल के पिकोरा और ओएसए-एके सिस्टम शामिल हैं। वायु रक्षा प्रणाली लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर और मानव रहित लक्ष्य पर मार करने वाले हवाई लड़ाकुओं को भी सीमा क्षेत्र में स्थापित कर दिया है।
खबरों में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन दोनों ने गलवान घाटी (Galwan valley) में लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर, टैंक, भारी तोपखाने और मिसाइलों के साथ अपनी तैनाती को काफी हद तक मजबूत किया है।
भारतीय कमान एलएसी पर कड़ी निगरानी कर रही हैं और किसी भी धमकी भरी अनायास चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
वरिष्ठ भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर 22 जून को हुई एलएसी पर हुए हिंसक संघर्ष के कुछ बिन्दुओं पर आम सहमति पर पहुंच गए थे। बावजूद इसके खबर है कि चीन रुका नहीं है और सैनिकों, सैन्य वाहनों, शस्त्रों द्वारा गलवान घाटी में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा रहा है।
उत्तरी क्षेत्र में तैनात रहे भारतीय सेना के एक पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल (तमजक) ने एक अंग्रेज़ी के अखबार सेे कहा, ‘जब किसी स्थिति में अंतिम निर्णय की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती हो तो सैन्य विवेक कहता है कि आपको सबसे बुरे के लिए तैयार रहना चाहिए।’
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