भारत दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के मानकों की तुलना में अभी भी बहुत पीछे है ।
भारत का कोई भी विश्वविद्यालय क्यूएस विश्वविद्यालय रैंकिंग में 100 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में जगह हासिल करने में सक्षम नहीं हुआ।
अमेरिकी और यूरोपीय विश्वविद्यालय अभी भी इस सूची में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर कायम हैं।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने क्रेया विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते हुए यह चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के मानकों की तुलना में अभी भी बहुत पीछे है ।
नायडू ने 21वीं शताब्दी की जरूरतों के अनुसार उच्च शिक्षा प्रणाली के बारे में पुनः विचार करने और उसका पुनर्निर्माण करने की जरूरत पर जोर दिया।
नायडू ने कहा कि पर्याप्त उच्च गुणवत्ता के शोधकर्ता न होने और पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या में कमी होने तथा शोध पदों में प्रवेश न करना चिंता का विषय है ।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय धन की कमी, पर्याप्त संख्या में शिक्षक न होने और नामांकन संख्याओं में गिरावट आने जैसी अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
नायडू ने कहा कि 2022 तक भारत में 700 मिलियन कुशल जनशक्ति की मांग होने की उम्मीद को देखते हुए भारत को युवाओं और छात्रों को नियोजित कौशल से युक्त बनाना होगा।
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