भारत नोवेल कोरोनावायरस (Novel Coronavirus) के संक्रमण की जाँच में अपने पडोसी देशों (neighboring countries) मालदीव, अफगानिस्तान और भूटान की मदद कर रहा है।
यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज लोकसभा में कहा कि देश नोवेल कोरोनावायरस के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और सभी आवश्यक सावधानी बरती जा रही है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने कोरोनावायरस (Coronavirus) की स्थिति पर नजर रखने के लिए पैनल का गठन किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी अन्य राज्यों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा संपर्क में हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हमारे देश में, केरल से अब तक कोरोनावायरस(Coronavirus) के तीन पॉजिटिव मामलों की रिपोर्ट आई है। इन सभी मामलों का वुहान, चीन से यात्रा का इतिहास है। इन्हें अलग रखा गया हैं और इन्हें नैदानिक रूप से स्थिर बताया गया है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के सदस्य देशों के समक्ष नमूनों की जाँच का प्रस्ताव रखा है।
स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लोकसभा में दिये गये वक्तव्य के मुख्य बिन्दु हैं :
- राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे नोडल प्रयोगशाला है। आईसीएमआर की उत्पन्न/पुनः उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोगों के प्रति तैयारी के भाग के रूप में एनआईवी, पुणे ने एनसीओवी के मॉलिक्यूलर निदान हेतु क्षमता स्थापित की है।
- नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग कार्य की भी व्यवस्था की गई है।
- नैदानिक नमूनों की जांच 11 और प्रयोगशालाओं में भी शुरू की जा चुकी है। इ
- स समय 1510 नमूनों की जांच की जा चुकी है और उनमें से 1507 नमूने ठीक पाए गए और 3 नमूने रोग वाहक पाए गए तथा 27 नमूनों की जांच चल रही है।
- भारत सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और देश में स्थित कार्यालय के साथ नियमित सम्पर्क बनाए हुए है ताकि उत्पन्न परिदृश्य की अद्यतन जानकारी प्राप्त हो सके।
- राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे नोडल प्रयोगशाला है।
- नैदानिक नमूनों की जांच 11 और प्रयोगशालाओं में भी शुरू की जा चुकी है।
- इस समय 1510 नमूनों की जांच की जा चुकी है और उनमें से 1507 नमूने ठीक पाए गए और 3 नमूने रोग वाहक पाए गए तथा 27 नमूनों की जांच चल रही है।
- नोवेल कोरोनावायरस (Novel Coronavirus) के मुख्य लक्षण में बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत हैं।
- रेडियोलॉजिकल साक्ष्य निमोनिया जैसे होंगे। 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत मामलों में रोग इतना गंभीर हो सकता है कि वेनटिलेटरी सहायता की आवश्यकता पड़े। ऐसे मामलों में मृत्यु–दर लगभग 2 प्रतिशत है।