पशुओं को होने वाले रोग Animal disease भारत में जन स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं।
पशुओं के इन रोगों के नाम हैं माल्टा ज्वर, एन्थ्राक्स, टीबी आदि।
यह स्थिति इसलिए है कि भारत ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में सबसे ऊपर है, जहां विभिन्न प्रकार के दुधारू पशुओं की संख्या बहुत अधिक है।
माल्टा ज्वर जैसे पशुजन्य रोग Animal disease हरियाणा से गोवा तक फैले थे।
इसके अलावा एन्थ्राक्स जैसे रोगों ने भी मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है।
इसी तरह जानवरों की टीबी Bovine tuberculosis भी प्रायः देखी जाती है, जिसके कारण जानवरों की उत्पादकता पर दुष्प्रभाव पड़ता है और मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा होता है।
सोमवार से दिल्ली में शुरू हुए ‘एक स्वास्थ्य’ भारत सम्मेलन’ के दौरान यह तथ्य सामने आया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ‘एक स्वास्थ्य’ का संबंध मानव और पशु, दोनों के स्वास्थ्य से है।
एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध पर बोलते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि 2010 में पोल्ट्री, सूअर और मवेशियों में वैश्विक एंटीबायोटिक उपयोग का अनुमान बताता है कि भारत वैश्विक खपत का 3 प्रतिशत है और चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और जर्मनी के साथ दुनिया भर में शीर्ष उपभोक्ताओं में शामिल है।
मुर्गियों में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग, विशेष रूप से 2030 तक भारत में तीन गुना होने की उम्मीद है।
मंत्री का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए जानवरों के साथ.साथ मनुष्यों में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को विनियमित करना महत्वपूर्ण है।
पशु खाद्य उत्पादों Animal food products में एंटीबायोटिक अवशेषों की उपस्थिति की निगरानी करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी उपस्थिति रोगाणुओं को प्रतिरोध हासिल करने का मौका दे सकती है — डॉ हर्षवर्धन ने कहा।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, कर्नाटक पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और अमेरिका की पेनसिल्वेनिया स्टेट यूर्निवसिटी ‘एक स्वास्थ्य पहल’के साझीदारों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
इस सम्मेलन में भारत और दुनिया भर के अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सा विशेषज्ञ मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरणजन्य स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के उपाय पर चर्चा करके समाधान खोज रहे हैं।
इस सम्मेलन के तहत भारत की नई ‘एक स्वास्थ्य पहल’ की शुरूआत की जाएगी।
इसका उद्देश्य भारत सहित दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया तथा उप-सहारा अफ्रीका के कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में स्वास्थ्य संबंधी खतरों से निपटने के लिए रणनीति बनाना है।
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