– अजय कुमार चतुर्वेदी
भारत में तीस प्रतिशत से अधिक आबादी शहरों में रहती है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश के लगभग दो सौ शहरों में जल और बेकार पडे पानी के उचित प्रबंधन की ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। वस्तुतः वर्तमान जरूरतों और हालात के मद्देनजर भारत को एक कारगर नई राष्ट्रीय जल नीति की जरूरत है।
भारत में भी वही तमाम समस्याएं हैं जिसमें पानी की बचत कम, बर्बादी ज्यादा है। यह भी सच्चाई है कि बढ़ती आबादी का दबाव, प्रकृति से छेड़छाड़ और कुप्रबंधन भी जल संकट का एक कारण है।
भारत में 10 से 14 अक्तूबर, 2017 के दौरान होने वाले भारत जल सप्ताह – 2017 मे इस बार सहयोगी देश के रूप में हालैंड शामिल हो रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल क्षेत्र में हालैंड का लाभ भारत को आने वाले दिनों में जरुर मिलेगा।
देश में पिछले 70 सालों में तीन राष्ट्रीय जल नीतियां बनी। पहली नीति 1987 में बनी जबकि 2002 में दूसरी और 2012 में तीसरी जल नीति बनी। इसके अलावा 14 राज्यों ने अपनी जलनीति बना ली है। बाकी राज्य तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।
इस राष्ट्रीय नीति में “जल को एक प्राकृतिक संसाधन मानते हुए इसे जीवन, जीविका, खाद्य सुरक्षा और निरंतर विकास का आधार माना गया है।” नीति में जल के उपयोग और आवंटन में समानता तथा सामाजिक न्याय का नियम अपनाए जाने की बात कही गई है।
मंत्रालय का कहना है कि भारत के बड़े हिस्से में पहले ही जल की कमी हो चुकी है। जनसंख्यावृद्धि, शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव से जल की मांग तेजी से बढने के कारण जल सुरक्षा के क्षेत्र में गंभीर चुनौतियों खडी हो गयी है।
जल नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि खाद्य सुरक्षा, जैविक तथा समान और स्थाई विकास के लिए राज्य सरकारों को सार्वजनिक धरोहर के सिद्धांत के अनुसार सामुदायिक संसाधन के रूप में जल का प्रबंधन करना चाहिए। हालाँकि, पानी के बारे में नीतियां, कानून तथा विनियमन बनाने का अधिकार राज्यों का है फिर भी जल संबंधी सामान्य सिद्धातों का व्यापक राष्ट्रीय जल संबंधी ढाँचागत कानून तैयार करना समय की मांग है।
तेजी से बदल रहे हालत को देखते हुए नयी जल नीति बनाई जानी चाहिए। इसमें हर जरूरत के लिए पर्याप्त जल की उपलब्धता और जल प्रदूषित करने वाले को कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए।
पानी के महत्व को सभी देशों ने पहचाना है। कनाडा, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अमेरिका जैसे विकसित देश भी जल सप्ताह आयोजित करते हैं। सिंगापुर में तो यंग वाटर लीडर्स – 2016 के आयोजन में तीस देशों से आए 90 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और पानी के मुद्दे पर गहन चर्चा की।
भारत में 10 से 14 अक्तूबर, 2017 के दौरान होने वाले भारत जल सप्ताह – 2017 मे इस बार सहयोगी देश के रूप में हालैंड शामिल हो रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल क्षेत्र में हालैंड का लाभ भारत को आने वाले दिनों में जरुर मिलेगा।
File photo : A fisherman casts his net in Brahmaputra river in Guwahati, on July 3, 2017. (Photo: IANS)
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