वाशिंगटन, 15 अक्टूबर (जनसमा)। भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जहां जनसांख्यिकीय परिवर्तन का अच्छा दौर देखा जा रहा है।
जेटली ने भारत की अर्थ व्यवस्था के बारे में यह जानकारी रविवार को वाशिंगटन डीसी में आईएमएफसी के ब्रेकफास्ट सत्र तथा परिचर्चा सत्रों के दौरान दी।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता हर साल श्रम बल में शामिल होने वाले 12 मिलियन युवाओं को रोजगार देने के तरीके ढूंढ़ना है।
फाइल फोटो केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली
उन्होंने पूर्व चेतावनी कवायद के तहत साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना की और इस बात पर विशेष जोर दिया कि समूची वैश्विक वित्तीय प्रणाली को इससे खतरा है क्योंकि यह आपस में काफी अधिक जुड़ गई है।
इस संबंध में वित्त मंत्री ने तीन नीतिगत चुनौतियों पर प्रकाश डाला। पहली चुनौती यह है कि सामान्य मौद्रिक स्थिति बहाल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उठाए जा रहे साहसिक कदमों से उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) के समक्ष जोखिम उत्पन्न हो गए हैं। दूसरी चुनौती निवेश में वैश्विक सुस्ती और तीसरी चुनौती रोजगार को लेकर है।
इन चुनौतियों की चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह आग्रह करेंगे कि वह अल्पकालिक पूंजीगत अस्थिरता को प्रबंधित करने हेतु विभिन्न देशों के लिए उपलब्ध एवं उनके द्वारा अमल में लाए जा रहे वृहद-विवेकपूर्ण और पूंजी प्रवाह प्रबंधन उपायों का उचित एवं निष्पक्ष आकलन करे।
अरुण जेटली ने आईएमएफसी के पूर्ण सत्र में भी भाग लिया जिसमें संस्थागत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री ने भारत की व्यापक ढांचागत सुधार पहलों पर प्रकाश डाला जिनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विमुद्रीकरण और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता शामिल हैं। जेटली ने कोटे की समीक्षा पर आम सहमति सुनिश्चित करने की दिशा में अपेक्षित प्रगति न होने पर मिश्रित भावनाएं व्यक्त कीं।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व बैंक की समग्र विकास समिति की 96वीं बैठक में भी भाग लिया। बैठक के एजेंडे में विश्व विकास रिपोर्ट 2018 और विकास के लिए वित्त को उच्चतम सीमा तक बढ़ाना सहित कई विषय शामिल थे।
वित्त मंत्री ने परामर्श और सहयोग की भावना के साथ ‘स्प्रिंग मीटिंग 2018’ तक शेयरधारिता समीक्षा को अंतिम रूप देने का आग्रह किया।
अरुण जेटली ने ब्रिटेन और श्रीलंका के वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। इस दौरान आपसी रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग के व्यापक पहलुओं पर चर्चा की गई।
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